लंदन: ब्रिटेन (Britain) में हुए एक अध्ययन के अनुसार 70 साल या उससे अधिक आयु के बुजुर्गों में कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine) का चौथा बूस्टर डोज कारगर साबित हुआ है. यह कोरोना के प्रति सुरक्षा को बढ़ा देता है. बूस्टर डोज की इस रिसर्च में शोधार्थियों का कहना है कि चौथे डोज का पीक रिस्पॉन्स कई मामलों में तीसरे डोज से भी बेहतर निकला है. इसी अध्ययन को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि संक्रमण के खिलाफ कम अवधि की सुरक्षा जल्द खत्म हो सकती है. चौथा डोज लगने के दो हफ्ते बाद इस अध्ययन में करीब 133 लोगों को शामिल करते हुए कई निष्कर्ष निकाले गए हैं.
बीबीसी की खबर में हेल्थ एंड सोशल केयर सेक्रेटरी साजिद जाविद के हवाले से कहा गया है कि अध्ययन के निष्कर्ष बेहद अहम हैं और इनके कारण लोगों में जागरूकता आई है. जैसे ही उनकी बारी आती है लोग आगे आकर खुद बूस्टर डोज ले रहे हैं. ब्रिटेन में कमजोर इम्युनिटी वाले और 75 साल की उम्र से अधिक के लोगों को अप्रैल से कोरोना वैक्सीन का चौथा डोज दिया जाना शुरू हो चुका है.
हालांकि, ब्रिटेन की वैक्सीन सोसाइटी इस बारे में फैसला करती है, लेकिन ऐसी संभावनाएं हैं कि बहुत जल्द एक बड़े समूह को बूस्टर डोज दिया जाए. इससे पहले इजरायल और जर्मनी ने सभी व्यस्कों को चौथा डोज देने की शुरुआत कर दी है. यहां चौथे डोज के बाद यह तथ्य सामने आया है कि लोगों ने इस वैक्सीन को आसानी से सहन कर लिया. किसी को भी तेज बुखार और तेज सिरदर्द जैसे कोई लक्षण सामने नहीं आए.
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि बूस्टर डोज की बात करने से पहले कोरोना के नए वेरिएंट के बारे में सोचना होगा. यह देखना होगा कि नया वेरिएंट कितना घातक है, अस्पतालों में इस वायरस के कारण कितने मरीज रोजाना भर्ती किए जा रहे हैं. इस अध्ययन में शामिल सभी लोगों को फाइजर के डोज या मॉडर्ना का आधा डोज दिया गया था. यह उन्हें तीसरा डोज लगने के छह माह बाद दिया गया. उन्होंने बताया कि शत प्रतिशत लोगों में अच्छा परिणाम आया है. 70 साल की उम्र वालों में प्रतिभागियों में इसके अच्छे परिणाम मिले हैं.
इससे टी-सैल्स की संख्या बढ़ती है. जो यह बताता है कि गंभीर बीमारियों के खिलाफ यह लंबे समय तक सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि यह अध्ययन व्यापक स्तर पर नहीं किया गया है, बेहतर परिणामों की जानकारी के लिए लंबे वक्त तक रहने वाले इम्यून रिस्पांस का अध्ययन जरूरी है. लेकिन लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज में प्रकाशित अध्ययन कहता है कि एंटीस्पाइक एंटीबॉडी में तेजी से इजाफा होता है तो वह गिरेगी भी तेजी से, तीसरे डोज के दौरान भी ऐसा ही पाया गया है.
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