उज्जैन। प्रदेश की मोहन सरकार ने शहरों के संतुलित विकास के लिए सरकार ने बड़ी पहल की है। इसके तहत किसी भी शहर के विकास में देश की प्रमुख चार संस्थाओं की मदद ली जाएगी। संस्थाएँ हर स्तर पर डिजाइन, डिटेलिंग की तकनीकी जाँच करेंगी और बाधा रहित विकास का खाका तैयार करेंगी। इसका लाभ सिंहस्थ 2028 के लिए होने वाले विकास काम में मिलेगा।
शहर के विकास में चार संस्थाओं का सहयोग लेने के पीछे सरकार का मानना है कि इससे विकास योजनाएँ निर्वाध रूप से आगे बढ़ेंगी और समय सीमा में पूरी होंगी। जानकारी के अनुसार, केंद्र की पहल पर मप्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि प्रदेश के शहरों के विकास में अब स्थानीय स्तर पर ही देश की चार संस्थानों की मदद ली जाएगी। केंद्र की पहल पर प्रदेश सरकार उज्जैन सहित अन्य शहरों में सिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स में ये संस्थाएँ सहयोग देंगी। इसका जिम्मा एसपीए दिल्ली, आइआइटी खडग़पुर, सेप्ट अहमदाबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (स्थानीय) को दिया गया है। इसके तहत प्रोजेक्ट डिजाइन, डिटेलिंग की तकनीकी आधार पर जांच होगी। प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों और अफसरों की ट्रेनिंग कराई जाएगी।
उज्जैन में कई प्रोजेक्ट्स अनुपयोगी
जानकारों का कहना है कि चार संस्थाओं से मदद मिलने पर प्रोजेक्ट्स की हालत पुराने प्रोजेक्ट्स जैसे नहीं होगी। गौरतलब है कि उज्जैन में नगर निगम और विकास प्राधिकरण के अलावा अन्य सरकारी संस्थाओं के इंजीनियरों ने अपने तरीके से नानाखेड़ा बस स्टैंड, महाकाल वाणिज्यिक केंद्र सब्जी मंडी, संभागीय हाट बाजार, बहादुरगंज सब्जी मंडी, दूधतलाई कॉम्प्लेक्स, स्वर्ग-सुंदरम कॉम्प्लेक्स सहित अनेक प्रोजेक्ट्स पर करोड़ों रुपए खर्च हुए, पर सभी लगभग अनुपयोगी हैं। अधिकारियों ने स्थिति का अध्ययन नहीं किया और करोड़ों के प्रोजेक्ट्स बना दिए।
विभागों को पत्र जारी
जानकारी के अनुसार इस संबंध में शहरी आवास एवं विकास मंत्रालय ने सभी विभाग प्रमुखों को पत्र जारी कर तकनीकी मदद लेने व प्रोजेक्ट की डिटेलिंग संबंधित एजेंसियों से शेयर करने के निर्देश दिए हैं। इससे किसी भी प्रोजेक्ट में तकनीकी खामी की गुंजाइश बेहद कम हो जाएगी और प्रोजेक्ट शुरुआत से ही बेहतर हो सकेंगे।
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