भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) में चार दिवसीय आलमी तब्लीगी इज्तिमा (Four-day Alami Tablighi Ijtima) शुक्रवार से शुरु हो गया है। यहां ईंटखेड़ी स्थित घासीपुरा (Ghasipura located in Intkhedi) में कार्यक्रम स्थल पर सुबह फजर की नमाज के साथ ही मुस्लिम समाज के इस विश्वस्तरीय धार्मिक सम्मेलन का आगाज हुआ। इस चार दिवसीय इज्तिमा में दिल्ली मरकज सहित देश-विदेश से जमातें शामिल हुई हैं। यहां देश के अलग-अलग हिस्सों से आए उलेमाओं की तकरीरें होंगी। पहले दिन शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मौलाना जमशेद साहब ने तकरीर दी। उन्होंने कहा कि जो तुम पर ज्यादती करे उसे माफ कर दें, यह कड़वा घूंट जरूर है, मगर यह ईमान वाले लोगों की पहचान भी है। इसलिए माफ करने वाला इंसान बनें।
चार दिवसीय इज्तिमा में 10 लाख लोगों के जुटने का अनुमान है तो वहीं करीब एक हजार जमातें शामिल होंगी। इस बार भी पाकिस्तान को छोडक़र अनेक देशों की जमातें राजधानी भोपाल पहुंच गई हैं। इनमें अमेरिका, इंडोनेशिया, मलेशिया, बांग्लादेश, साउथ अफ्रीका, जार्डन, अफगानिस्तान, कनाडा सहित अन्य देशों की जमातें भी शामिल हैं। पड़ोसी मुल्क से खराब राजनीतिक संबंधों की वजह से एक भी जमात शामिल नहीं हुई है। इज्तिमा में आने वाले लोगों के लिए कुछ पांबदी लगाई गई है। इसके अनुसार बिना रजिस्ट्रेशन के इज्तिमा में एंट्री नहीं दी जा रही है, साथ ही इज्तिमा स्थल पर पॉलीथिन और बीड़ी सिगरेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है।
चार दिवसीय इज्तिमा में रोजाना सुबह 6 बजे से तकरीरें होंगी, जो इशां की नमाज तक चलेगी। इज्तिमा में रात को ईशा की नमाज से सुबह फजर की नमाज तक लोगों को मुफ्त में चाय और अंडा उपलब्ध कराया जाएगा। इज्तिमा में 65 पार्किंग बनाई गई है। हर पार्किंग में 2 से 5 हजार वाहनों के खड़े रहने के इंतजाम किए गए हैं। इज्तिमा में व्यवस्था बनाने में जुटे 20 हजार वॉलंटियर्स पंडाल में मौजूद लोगों की खिदमत के अलावा उनके खान-पान, साफ-सफाई, पार्किंग सहित अन्य व्यवस्थाएं देख रहे हैं।
भोपाल में इज्तिमा के आयोजन का यह 75वां वर्ष है। देशभर से करीब एक हजार जमातें शामिल इसमें होंगी। कई जमाते सप्ताह भर पहले ही भोपाल पहुंच चुकी थीं और शेष का आने का सिलसिला जारी है। इज्तिमा को लेकर 300 एकड़ से ज्यादा एरिया में बड़े-बड़े पंडाल बनाए गए हैं, जहां जमातों के रुकने की व्यवस्था की गई है। इज्तिमा में इस बार चार दिन में करीब 10 लाख लोगों के जुटने का अनुमान है।
वरिष्ठ पत्रकार और इस्लामिक मामलों के जानकार डॉ. मेहताब आलम ने बताया कि भोपाल में इज्तिमा की शुरुआत 1947 में हुई थी, तब मुस्लिम समाज के चार लोगों ने तय किया कि कौम को कुरान और ईमान का संदेश दिया जाए। इन लोगों ने मिलकर तब के भोपाल में घाटी भड़भूजा इलाके में इज्तिमा की शुरुआत कर दी, लेकिन अगले ही साल वहां से हटकर 1948 में अट्टा शुजा खां की मस्जिद में शिफ्ट हो गया। दो साल यहीं इज्तिमा लगा। फिर 1950 से ये समागम ताजुल मसाजिद में लगने लगा। ताजुल मसाजिद एशिया की सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार है। यहां 2001 तक यह समागम होता रहा। इज्तिमा में जमातों की लगातार बढ़ती तादाद को देखते हुए 2002 से इसे भोपाल के ईंटखेड़ी में लगाया जाने लगा। इज्तिमा के दौरान यहां घोसीपुरा में पूरा एक शहर ही बसा दिया जाता है।
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