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    बिजली घोटाले में निगम अधिकारी सहित चार बरी

  • July 02, 2022

    • पूर्व महापौर मधुकर वर्मा व ठेकेदार सहित 16 लोग थे मुलजिम, पांच मुलजिम मरे, सात छूटे

    इन्दौर। 22 साल पहले नगर निगम में हुए बिजली उपकरण घोटाले में विशेष अदालत ने निगम के तत्कालीन अधीक्षण यंत्री जीआर दुबे सहित चार मुलजिमों को बरी कर दिया हंै। मामले में पूर्व महापौर मधुकर वर्मा व ठेकेदार सहित कुल 16 लोग मुलजिम थे, जिनमें से पांच मुलजिम मर चुके हैं, जबकि सात आरोपी पहले ही छूट चुके हैं।

    सूत्रों के मुताबिक इस मामले में लोकायुक्त पुलिस ने जांच उपरांत विशेष अदालत में 28 जनवरी 2007 को चालान पेश किया था। मामले में जांच से लेकर सुनवाई के बीच ही वर्मा के अलावा तत्कालीन मुख्य अभियंता आरकेएस कुशवाह, कार्यपालन यंत्री बीएस द्विवेदी, निगम के सचिव बंशीलाल जोशी, स्टोर अधिकारी ओपी दुबे की मौत हो चुकी थी, जबकि तत्कालीन आयुक्त संजय शुक्ला के अलावा अरुण शुक्ला, बलवंत कनेरिया, एसएस तोमर, ठेकेदार राजेश जैन, उसकी बेटी प्रिया जैन, पार्थ बैनजी सहित सात मुलजिम पहले बरी हो चुके हैं।


    विशेष न्यायाधीश राकेशकुमार गोयल के समक्ष तत्कालीन अधीक्षण यंत्री गोविंदराम दुबे, लिपिक मोहनलाल वर्मा पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं व आपराधिक षड्यंत्र रचने की धाराओं में केस चला। उन पर इल्जाम था कि वर्ष 1999 से 27 फरवरी 2001 तक इन अधिकारियों ने अपने-अपने पदों का दुरूपयोग कर 5 नवंबर 1999 को निगम द्वारा सवा करोड़ के बिजली उपकरणों की खरीदी का संकल्प बिना टेंडर बुलाए मंजूर किया। इसके लिए ठेकेदार संदीप जैन के जरिये 2,52,59,330 रुपए में ठेका क्राम्पटन ग्रीव्स को दिया, जिसने एक माह की तय मियाद में माल सप्लाय नहीं किया, फिर भी अधिकारियों ने कोई ऐतराज नहीं उठाया और पैसों का भुगतान कर दिया, जिससे अरिहंत टे्रडर्स, चिनार कॉमर्स, रजत सेल्स कार्पोरेशन व संदीप टे्रडिंग कंपनी के पार्टनर या प्रतिनिधि राजेश, प्रिया, संदीप, प्रदीप, राजेश व पार्थ को गलत तरीके से फायदा पहुंचा और निगम व सरकार को नुकसान हुआ।

    कोर्ट ने पाया कि दुबे व लिपिक ने केवल वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर अमल किया और खरीदी व भुगतान आदेश जारी किए। उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने से खात्मा पेश किया गया था और हाईकोर्ट द्वारा प्रिया जैन,, राजेश जैन को आरोप के स्टेज पर ही हाईकोर्ट द्वारा डिस्चार्ज किए जाने के खिलाफ दायर एसएलपी भी पहले ही सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो चुकी है। ऐसे हालातों में दुबे व लिपिक वर्मा को बरी कर दिया। इसी तरह अदालत ने ठेकेदार संदीप जैन व प्रदीप जैन को भी संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया है।

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