इंदौर। प्राणी संग्रहालय में शेरों के पिंजरों के आसपास न केवल दो-दो कूलर, बल्कि फव्वारे भी लगाए गए हैं, जिन्हें चार से पांच बार चालू किया जाता है। इसके अलावा वहां परिंदों के पिंजरों को ग्रीन नेट से पूरी तरह ढंका गया है और पिंजरों में ही उनके लिए पानी के छोटे-छोटे कुंड बनाए गए हैं। गर्मी को देखते हुए उनकी डाइट में बदलाव करने के साथ-साथ दवाइयां और ग्लूकोज भी दिया जा रहा है।
प्राणी संग्रहालय में 168 प्रजातियों के वन्यप्राणियों का 1400 परिवारों का कुनबा है। इनमें सर्वाधिक संख्या शेर, चीते और परिंदों की है। हर बार गर्मी के दौरान इनके लिए जू के कर्मचारी अलग-अलग जतन कर गर्मी से बचाव के लिए उपाय करते हैं। इस बार भी कुछ अलग इंतजाम किए गए हैं। शेरों के पिंजरों के आसपास दो-दो कूलर लगाने के साथ फव्वारे भी लगाए गए हैं, ताकि उन्हें ठंडक मिलती रही। जू के प्रभारी अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक दिन में चार से पांच बार फव्वारे चालू किए जाते हैं और खासकर दोपहर में इनका ज्यादा ध्यान रखा जाता है। दोपहर 12 से शाम 5 बजे तक जू की टीम पिंजरों के आसपास निगरानी और निरीक्षण के लिए पहुंचती है। उनके मुताबिक देसी-विदेशी परिंदों के पिंजरों को पूरी तरह ग्रीन नेट से ढंका गया है, साथ ही खस की चटाई भी कई वन्यप्राणियों के पिंजरों के आसपास लगाई गई है, ताकि उन्हें ठंडी हवा मिल सके। करीब 15 से ज्यादा कूलर शेर, चीतों के पिंजरे में लगाए गए हैं, वहीं परिंदों और सांपघर, मंकीघर से लेकर कई पिंजरों के आसपास फव्वारे और ग्रीन नेट लगाई गई है।
तरबूज, खरबूज से लेकर सेवफल भी दे रहे हैं डाइट में
वन्यप्राणियों, खासकर परिंदों और अन्य शाकाहारी वन्यप्राणियों को मौसमी फल दिए जा रहे हैं, ताकि उन्हें गर्मी में राहत मिल सके। इसके लिए बड़े पैमाने पर हर रोज तरबूज, खरबूज से लेकर सेवफल और मौसंबी बुलवाई जाती है, जिनकी जांच के बाद टीमें अलग-अलग पिंजरों में सुबह और दोपहर में शाकाहारी वन्यप्राणियों को यह भोजन परोसती हैं। जू में वन्यप्राणियों के आहार के सप्लाय के लिए एजेंसियों को काम सौंपा गया है और अफसरों के निर्देश पर डाइट में हर रोज बदलाव भी किया जाता है।
ग्लूकोज के साथ कई अन्य दवाइयां भी दे रहे हैं
अधिकारियों का कहना है कि गर्मी के दिनों में परिंदों की खास देखभाल करना होती है, क्योंकि वे तेज गर्मी के कारण अक्सर बीमार अथवा गंभीर हालत में हो जाते हैं। इसी के चलते उनके पिंजरों के आसपास ग्लूकोज के साथ कई अन्य दवाइयां भी पानी के साथ दी जा रही हैं। उनके पानी के लिए बनाए गए कुंडों में दवाइयां डाल दी जाती हैं। कई बीमार वन्यप्राणियों का लगातार चेकअप किया जा रहा है।
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