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नई दिल्ली। आगामी 10 मार्च को विश्व वृक्क दिवस (World Kidney Day) से पहले विशेषज्ञों ने कहा है कि समय-समय पर परखी गयीं ‘पुनर्नवा’, ‘गोखरू’ और ‘वरुणा’ जैसी जड़ी-बूटियां गुर्दे के गंभीर रोगियों के लिए जीवनरक्षक हो सकती हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर के एन द्विवेदी ने इन जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए कहा कि ये निष्क्रिय हो चुके गुर्दे की कोशिकाओं (depleted kidney cells) में नयी जान डाल सकती हैं। उन्होंने कहा, ‘नीरी-केएफटी ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो पुनर्नवा, अश्वगंधा और गुडुची जैसे औषधीय पादपों पर आधारित है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं’
आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. डीसी कटोच ने बताया कि देश में करीब एक करोड़ लोग हर साल किडनी से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त मिल रहे हैं। इसमें आधुनिक जीवनशैली का एक बड़ा और गंभीर योगदान है। खाद्य पदार्थों को लेकर लोगों को सचेत रहना बहुत जरूरी है। मेदांता अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. भीमा भट्ट ने कहा कि क्रोनिक किडनी रोग एक ऐसी स्थिति है जिसमें किडनी की कार्यशैली रुक जाती है। आमतौर पर इसके मुख्य कारण मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, धूम्रपान, बढ़ती उम्र, पथरी, संक्रमण इत्यादि हैं।
डॉ भट्ट ने बताया कि शुरूआती चरण में इसके संकेत नहीं मिल पाते हैं, जिसकी वजह से मरीजों को उनकी बीमारी के बारे में भी पता नहीं चलता, लेकिन कुछ महीने या फिर साल बाद यह एक गंभीर बीमारी का रूप ले लेती है। आयुर्वेद चिकित्सा के जरिए समय पर इलाज शुरू करने से किडनी को बचाया जा सकता है।
महाराष्ट्र के औरंगाबाद से डॉ. आरिफ हसन ने कहा कि समय रहते मरीज की जांच और बीमारी का पता लगने के बाद नीरी केएफटी के जरिए उसे बचाया जा सकता है। साथ ही इससे डायलिसिस भी कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब तक सैंकड़ों मरीजों में इसका असर देखा है जिन्हें चिकित्सीय अध्ययन में शामिल किया गया है। एमिल फॉर्मास्युटिकल के कार्यकारी निदेशक डॉ. संचित शर्मा ने बताया कि फास्ट फूड खासतौर पर तले हुए क्रिस्पी की तरफ लोगों का अधिक झुकाव रहता है लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि इन पर लगी काले रंग की क्रिस्पी परत अमीनो एसिड युक्त है जो सीधे तौर पर किडनी को नुकसान देती है।
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