भोपाल। फोर्टिफाइड चावल में कई पोषक तत्व शामिल हैं। इसके सेवन से महिलाओं में एनीमिया व कुपोषण जैसी समस्याएं दूर होगी। इस दावे के साथ यहां सिंगरौली में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से फोर्टिफाइड चावल का वितरण सात महीने पहले शुरू किया गया, लेकिन चावल का उपभोग करने वालों की सेहत पर इसका असर हुआ या नहीं, अधिकारियों ने यह जानने की कोशिश नहीं की। इधर, स्वास्थ्य विभाग अभी भी जिले में एनिमिया की समस्या से संबंधित पुराने आंकड़े ही बता रहा है। प्रदेश के पायलट प्रोजेक्ट के तहत पिछले वर्ष सितंबर महीने में फोर्टिफाइड चावल का वितरण शुरू किया गया था। विटामिन बी 12, आयरन व फोलिक एसिड जैसे पोषक तत्वों से युक्त चावल का वितरण शुरू करने के पीछे तर्क है कि इससे एनिमिया से पीडि़त महिलाओं व गर्भवती के साथ कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार आएगा। पहले चरण में सिंगरौली के साथ भिंड व अनूपपुर में वितरण की शुरुआत हुई। अधिकारियों का दावा है कि पिछले सात महीनों से जिले के ढाई लाख से अधिक परिवार को फोर्टिफाइड चावल खिलाया जा रहा है। यह बात और है कि उनकी सेहत पर कोई असर हुआ या नहीं, यह जानने की न ही स्वास्थ विभाग जरूरत समझ रहा है और न ही प्रशासन।
नहीं बदला एनिमिक बच्चों का आंकड़ा
फोर्टिफाइड चावल के वितरण की शुरुआत में केंद्र सरकार द्वारा जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया था कि सिंगरौली में 5 से 9 वर्ष तक के 61 प्रतिशत बच्चे एनीमिक हैं। वहीं 53 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में भी खून की कमी है। इसके साथ ही 30 से 40 फीसदी युवा व बुजुर्ग भी एनिमिया से प्रभावित हैं। इसी तर्क के आधार पर यहां सबसे पहले चावल का वितरण शुरू किया गया, लेकिन हैरत की बात यह है कि छह महीने बीतने के बाद भी एनिमिया से प्रभावित लोगों के आंकड़े में कोई खास परिवर्तन नहीं बताया गया है।
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