नई दिल्ली । हरियाणा विधानसभा चुनाव (Haryana Assembly Elections)में शानदार जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की नजर उत्तर प्रदेश में(In Uttar Pradesh) होने वाले उपचुनावों(By-elections) पर है। इस चुनाव में भाजपा वही नीति अपनाने के बारे में सोच रही है, जिससे की हरियाणा का ‘दंगल’ जीतने में सफलता मिली है। भाजपा ओबीसी मतदाताओं तक पहुंच बनाने के लिए उसी फॉर्मूले को अपनाने जा रही।
हरियाणा में भाजपा ने सबसे पहले नेतृत्व में बदलाव करके सत्ता विरोधी लहर को कम किया। मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया गया। इसे भी भाजपा की जीत का एक सफल कारक माना जा रहा है। सैनी के सीएम बनते ही हरियाणा के ओबीसी मतदाताओं के बीच उत्साह दिखाया। भाजपा को जमकर ओबीसी में शामिल विभिन्न जातियों से वोट मिले।
हरियाणा में यह फॉर्मूला हिट होने के बाद अब भाजपा उत्तर प्रदेश में भी इसी तरह की रणनीति लागू करने के बारे में सोच रही है। आपको बता दें कि यहां 50 प्रतिशत से ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या है।
रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा का पिछड़ा वर्ग मोर्चा पूरे उत्तर प्रदेश में अभियान चलाने की तैयारी में है। इसके जरिए यह संदेश देने की कोशिश की जाएगी भाजपा ओबीसी अधिकारों और आरक्षण के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। इससे मतदाताओं की इन मुद्दों से जुड़ी चिंताएं दूर करने की कोशिश की जाएगी।
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने खुलासा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के बीच हाल ही में हुई चर्चा ओबीसी अधिकारों के बारे में गलत धारणाओं को दूर करने पर केंद्रित रही है। आरएसएस के प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता आलोक अवस्थी ने कहा, “हरियाणा में हमने सभी 36 समुदायों के साथ खड़े होने का प्रयास किया। इसका परिणाम कांग्रेस की करारी हार थी। हम भविष्य के चुनावों में भी इस दृष्टिकोण को बनाए रखने का इरादा रखते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सभी समुदाय प्रतिनिधित्व महसूस करें। हमारा लक्ष्य जनता का विश्वास और समर्थन अर्जित करना जारी रखना है।”
हरियाणा की चुनावी सफलता को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा की रणनीति राजनीतिक परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकती है। भाजपा अपनी स्थिति को मजबूत करने और हाल ही में मिली जीत से मिली गति को बनाए रखने का प्रयास कर रही है।
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