नई दिल्ली (New Delhi) । थर्ड यूनिकॉर्न के फाउंडर और शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर (Ashneer Grover) ने कहा, “हमें लगता है कि अमेरिका में युवा भोले हैं। ठीक इसके विपरीत भारत में युवाओं की वर्तमान पीढ़ी एक बुलबुले में रह रही है। उन्होंने भारतीय युवाओं (Indian youth) के लिए प्रोफेशनल दुनिया में असफलताओं के जरिए रियल वर्ल्ड का अनुभव प्राप्त करके अपने भ्रम को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया।
एक पॉडकास्ट में अशनीर ग्रोवर ने कहा कि भारत में युवा “एक बुलबुले में” रह रहे हैं, जबकि अमेरिका में वे अधिक सांसारिक और अनुभवी हैं। उन्होंने यह भी कहा, “वे गेटेड सोसाइटी में रहते हैं, इस बारे में बहुत कम जानकारी है कि दुनिया दरवाजों से परे कैसे काम करती है। उनके स्कूल भी बुलबुले हैं। इन स्कूलों में गठित क्लब सोसाइटी के समान तबके के भीतर प्रेम विवाह के अवसर प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि अच्छे कॉलेज में दाखिले की गारंटी के लिए स्कूल में उन्हें अच्छा प्रदर्शन करने का दबाव होता है। ऐसे में वे इस तरह से दुनिया को कैसे देखेंगे या अनुभव करेंगे?
फूट सकता है बुलबुला
ग्रोवर ने कहा कि इंडियन यूथ का बुलबुला फूट सकता है, लेकिन इसके लिए प्रोफेशन की दुनिया में कम से कम सात साल लगेंगे, जहां वे असफल हो जाते हैं और अपनी गलतियों से सीखते हैं। क्योंकि युवा “देश या अर्थव्यवस्था कैसे चलती है, उससे बहुत दूर हैं।
यूथ को नहीं पसंद लंबी भर्ती प्रक्रिया
अशनीर ग्रोवर ने यह भी कहा कि उन्हें लंबी भर्ती प्रक्रिया और नोटिस पीरियड पसंद नहीं है। क्योंकि, उनका मानना है कि सभी को “hire fast, fire fast” नियम का पालन करना चाहिए।
नियुक्तियों में लग रहा बहुत समय
आज कल नियुक्तियों में हो रही देरी पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में क्या हो रहा है कि आप कई राउंड के बाद भी किसी व्यक्ति को काम पर रखने में बहुत समय लगा रहे हैं। जब कोई उम्मीदवार खुद को बेचने या खुद के लिए पिच करने आता है तो उसके अंदर का सेल्समैन अपने चरम पर होता है। जब आप उसे अपना काम देंगे तो शाम तक आपको खुद पता चल जाएगा कि वह काम करेगा या नहीं।
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