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    PFI के पूर्व अध्यक्ष अबूबकर की एम्स में होगी मेडिकल जांच, सुप्रीम कोर्ट से मांगी है जमानत

  • November 12, 2024

    नई दिल्ली: देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) का पूर्व मुखिया ई. अबूबकर (Abubakar) जमानत (Bail) के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंच गया है. उसने बीमारियों का हवाला देते हुए जमानत की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन के भीतर दिल्ली के एम्स अस्पताल (AIIMS Hospital) में अबूबकर की मेडिकल जांच का आदेश दिया है. जस्टिस एम एम सुंदरेश और अरविंद कुमार की बेंच ने कहा है कि वह डॉक्टरों की रिपोर्ट देखने के बाद जमानत पर फैसला लेंगे.

    जांच एजेंसियों का कहना है कि पीएफआई पहले से प्रतिबंधित संगठन SIMI का बदला हुआ रूप है. एनआईए ने अपनी जांच के बाद यह आरोप लगाया था कि पीएफआई भारत में 2047 तक गजवा-ए-हिंद के मकसद से काम कर रहा था. उसका लक्ष्य लोकतांत्रिक सरकार को भंग कर भारत में शरिया शासन स्थापित करना था. उसके संबंध जमात उद दावा मुजाहिदीन बांग्लादेश और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया से भी थे. भारत में कई हिंसक गतिविधियों के पीछे पीएफआई का हाथ होने का आरोप एजेंसियों ने लगाया. पीएफआई पर 2022 में यूएपीए कानून के तहत 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया था.


    22 सितंबर 2022 को गिरफ्तार अबूबकर पर विशेष कैंप लगा कर युवाओं को गजवा-ए-हिंद के लिए भड़काने का आरोप है. जांच एजेंसियों का कहना है कि उसके ऐसे कार्यक्रमों में मुस्लिम युवाओं को भारत में इस्लाम का शासन लाने के लिए खून खराबा करने के लिए तैयार रहने को कहा जाता था. युवाओं को बकायदा शारीरिक ट्रेनिंग देकर जिहाद के लिए तैयार भी किया जाता था. अबूबकर खुद कई आतंकियों से सीधे संपर्क में था.

    आतंक निरोधक कानून के तहत आरोपी अबूबकर को इस साल मई में दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया था. उसकी तरफ से पेश वकील कामिनी जायसवाल ने कहा कि उसका पहले कैंसर का ऑपरेशन हो चुका है. अभी वह पार्किंसन और डायबिटीज का मरीज है. उसकी उम्र 70 से अधिक है. उसे जमानत मिलनी चाहिए. इसका विरोध करते हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जेल में रहने के दौरान याचिकाकर्ता को 40 बार एम्स में लाया गया है. उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखा जा रहा है.

    अबूबकर की वकील ने कहा कि 40 बार हॉस्पिटल ले जाया जाना अपने आप में खराब सेहत का सबूत है. इसलिए कोर्ट जमानत पर विचार करे. जजों ने कहा कि वह मेडिकल आधार पर जमानत पर विचार कर सकते हैं, लेकिन उससे पहले विशेषज्ञ डॉक्टरों की रिपोर्ट देखना चाहेंगे. याचिकाकर्ता की 2 दिन में एम्स में मेडिकल जांच हो. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी.

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