रायपुर। माओवादियों के बीच ‘नसबंदी’ (nasabandee) एक बहुत ही आम शब्द है. काडर के जो सदस्य शादी करना चाहते हैं, उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (Māōvādī) ) के सीनियर आकाओं के हुक्म पर इस प्रक्रिया से गुजरने के लिए मजबूर किया जाता है. तेलंगाना के एक पूर्व माओवादी को शादी से पहले इस प्रक्रिया से गुजरने का निर्देश दिया गया था. सालों बाद, जब उसने हथियार डालकर आत्मसमर्पण कर दिया, तो उसने इस प्रक्रिया को उलटने के लिए दूसरी सर्जरी करवाई, उसके बाद वो वह पिता बन पाया.
आज छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में नक्सल प्रभावित लोगों और हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हुए लोगों से मुलाकात की।
नक्सलवाद ने दशकों तक देश की बड़ी आबादी को उनके मौलिक अधिकारों से न केवल वंचित रखा, बल्कि अमानवीयता की सारी हदें पार कर उनके जीवन को कुप्रभावित किया। युवाओं के मन में भय… pic.twitter.com/5bUPPh2mCD
— Amit Shah (@AmitShah) December 15, 2024
नसबंदी से क्या होता है?
उसने बताया कि प्रतिबंधित संगठन के सदस्यों के बीच यह धारणा है कि बच्चों की देखभाल से उनका ध्यान भटकेगा और इससे उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचेगा. यह भी आशंका है कि शादी करने वाले कार्यकर्ता आंदोलन से मुंह मोड़ सकते हैं. इसकी वजह से विवाह करने वाली किसी भी काडर के लिए नसबंदी अनिवार्य है. पुरुष नसबंदी एक शल्य प्रक्रिया है जो वीर्य में शुक्राणु के प्रवाह को रोकती है जिससे स्थायी जन्म नियंत्रण (गर्भनिरोधक) होता है.
नसबंदी क्यों करवाते हैं नक्सली?
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के आत्मसमर्पण कर चुके नक्सली मरकम दुला ने बताया,’नक्सली कार्यकर्ताओं के लिए शादी करने से पहले नसबंदी करवाना अनिवार्य है. नेता नहीं चाहते कि कोई भी सदस्य अपनी संतानों के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े. इसलिए आगे का रास्ता ‘नसबंदी’ है.’ पड़ोसी राज्य ओडिशा के मलकानगिरी के एक अन्य पूर्व माओवादी ने भी ऐसी ही कहानी बयां की. सुकांति मारी ने बताया,’मेरे साथी काडर से विवाह करने से पहले उसे ‘नसबंदी’ करानी पड़ी.’ मारी का पति पुलिस मुठभेड़ में मारा गया जिसके बाद उसने अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया.
आत्मसमर्पण के बाद ले रहे योजनाओं का फायदा
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के समूह के साथ बातचीत के दौरान शाह ने कहा कि उन्हें इस बात से बेहद संतोष है कि देश के युवाओं को हिंसा की निरर्थकता का एहसास हो गया है और उन्होंने हथियार डाल दिए हैं. उन्होंने बाकी नक्सलियों से हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने की अपील करते हुए कहा कि उनका पुनर्वास सरकार की जिम्मेदारी है. शाह के साथ बातचीत में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने उन्हें बताया कि किस तरह वे पुलिस, निजी क्षेत्र में नौकरियों और अपना उद्यम शुरू करने के लिए बैंक से कर्ज लेने समेत अलग-अलग सरकारी योजनाओं का फायदा उठा रहे हैं
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