नई दिल्ली। किसान आंदोलन के बीच पूर्व राष्ट्रीय बॉक्सिंग कोच गुरबख्श सिंह संधू ने आंदोलनकारी किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अपने द्रोणाचार्य पुरस्कार को वापस करने का फैसला किया है।
उन्होंने एक बयान में कहा,“देश में जो कुछ भी हो रहा है वह अच्छा नहीं है। कानून बनाने वाले कह रहे हैं कि उन्होंने इसे किसानों की भलाई के लिए बनाया है और वे किसानों की आय को दोगुना या तिगुना करना चाहते हैं। आप उनके लिए कानून बना रहे हैं लेकिन वे कह रहे हैं कि वे ऐसा नहीं चाहते हैं। मुझे लगता है कि जिस तरह से उन्होंने इस्तेमाल किया है वह सही नहीं है।”
उन्होंने कहा, “मैं एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। हम कुछ और नहीं कर सकते, लेकिन अपनी नाराजगी जाहिर कर सकते हैं और सरकार से कानून को रद्द करने या जरूरी बदलाव करने का आग्रह करते हैं। इसलिए, इस बात को ध्यान में रखते हुए, मैंने अपना पुरस्कार लौटाने का फैसला किया है।”
बता दें कि किसान, मूल्य उत्पादन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम, 2020 पर किसानों के उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 के खिलाफ विरोध कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि 03 दिसंबर को, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने किसान आंदोलन के पक्ष में “पद्म विभूषण पुरस्कार” लौटा दिया था, बाद में 04 दिसंबर को, शिरोमणि अकाली दल (डेमोक्रेटिक) के प्रमुख और बागी राज्यसभा सदस्य सुखदेव सिंह ढींडसा ने प्रदर्शनकारी किसानों के साथ “एकजुटता व्यक्त करने” के लिए पद्म भूषण पुरस्कार लौटा दिया था।
उसी दिन, पंजाबी में भारतीय साहित्य अकादमी पुरस्कार के विजेता जिनमें सिरमौर शायर डॉ.मोहनजीत, प्रख्यात विचारक डॉ. जसविंदर सिंह और पंजाबी नाटककार और पंजाबी ट्रिब्यून के संपादक स्वराजबीर ने भी किसानों के लिए समर्थन दिखाने के लिए अपने-अपने पुरस्कार लौटा दिए। (एजेंसी, हि.स.)
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