सुल्तानपुर। पूर्व सांसद अकबर अहमद डम्पी केस (Former MP Akbar Ahmed Dumpy Case) में 40 साल बाद 13 अक्तूबर को कोर्ट से फैसला (court decision) आएगा। गौरीगंज गेस्ट हाउस (Gauriganj Guest House) में सितंबर 1982 में लापरवाही से गोली चली थी। इसमें पूर्व सांसद के सुरक्षा गार्ड टिकोरी सिंह की मौत हो गई थी। मामले में एमपी/एमएलए कोर्ट के मजिस्ट्रेट योगेश कुमार यादव ने शुक्रवार को सुनवाई पूरी की। न्यायालय का फैसला सुरक्षित रखा है।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के कार्यकाल के दौरान संजय गांधी (Sanjay Gandhi) की एयरक्राफ्ट दुर्घटना में 1982 में मौत हो गई थी। इसके बाद मेनका संजय गांधी ने संजय गांधी विचार मंच की स्थापना की थी। पार्टी के प्रचार प्रसार के लिए मेनका सितंबर 1982 में अमेठी, गौरीगंज, जायस और कई अन्य जगहों पर जनसभाएं कर रही थीं।
उस समय पार्टी के अविभाजित सुलतानपुर के जिलाध्यक्ष और केस में बचाव पक्ष के वकील अयूब उल्ला खान बताते हैं कि 19 सितंबर 1982 को मेनका गौरीगंज गेस्ट हाउस में रुकी थीं। जहां पार्टी के कार्यकर्ता और कई सांसद मौजूद थे। गेस्ट हाउस में ही हरियाणा से आए सुरक्षाकर्मी करनैल सिंह की लापरवाही से बंदूक से गोली चली थी। घटना में बस्ती के सांसद कल्पनाथ सोनकर के सुरक्षा गार्ड टिकोरी सिंह घायल हो गए थे। उन्हें लखनऊ रेफर किया गया था।
उस दौरान सोनभद्र के तत्कालीन विधायक अकबर अहमद डम्पी, बस्ती के सांसद कल्पनाथ सोनकर, साथी शीतला सोनकर,पार्टी महामंत्री जगदीश नारायण मिश्र पर जानलेवा हमला, साक्ष्य मिटाने, साजिश और कई अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया गया था। इलाज के दौरान घायल टिकोरी सिंह की लखनऊ में मौत हो गई, जिसके बाद मुकदमा हत्या में परिवर्तित किया गया। 28 अक्टूबर 1983 को सीबीसीआईडी ने लापरवाही से हत्या के आरोप में चार्जशीट दाखिल की। 40 साल तक चली सुनवाई में आरोपी पूर्व सांसद कल्पनाथ सोनकर और शीतला सोनकर की मौत हो गई।
इस दौरान लापरवाही से गोली चलाने वाले आरोपी करनैल सिंह पर 39 साल तक विवेचना प्रचलित रही। बीते साल एमपी/एमएलए कोर्ट के आदेश पर करनैल के खिलाफ विवेचना तो पूरी हुई लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका। इस कारण उसे क्लीनचिट दे दी गई। चार्जशीट में सूचीबद्ध 53 गवाहों में से अभियोजन पक्ष केवल आठ गवाह पेश कर सका। इसके बाद दोनों पक्षों की बहस शुक्रवार को पूरी हुई। विशेष कोर्ट ने डम्पी और जगदीश नारायण मिश्र के भाग्य का फैसला 13 अक्तूबर नियत किया है।
जमानत देकर चर्चा में आए थे मुंसिफ मजिस्ट्रेट
जानलेवा हमला से हत्या में परिवर्तित किए गए मामले में आरोपियों को तत्कालीन मुंसिफ मजिस्ट्रेट अनिल कुमार श्रीवास्तव ने जमानत दी थी। अधिवक्ता अयूब अल्ला खान के मुताबिक विवेचक ने केस डायरी में कई जगह खाली छोड़ दी थी। इसको इंगित कर मुंसिफ मजिस्ट्रेट ने आरोपियों को जमानत दी थी। जिले के न्यायिक इतिहास में यह एक बड़ा कदम था जो कि आज तक चर्चा में है।
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