इंदौर, बजरंग कचोलिया। झाबुआ के एक पूर्व विधायक को ब्याह कर लार्ई महिला को अपने घर में नहीं रखना महंगा पड़ा। महिला ने उसे रेप के केस में फंसा दिया, किंतु विधायक-सांसदों के लिए बनी विशेष अदालत ने इसे रेप नहीं, सामाजिक अन्याय माना और मुलजिम को बरी कर दिया।
सूत्रों के अनुसार मुलजिम का वर्ष 2004 में महिला से परिचय हुआ था। फिर 2005 में उसकी दूसरी जगह शादी हो गई और संतानें भी हो गर्इं, किंतु महिला से प्रेम संबंध जारी रहे। करीब 15 साल बाद महिला ने यह कहकर मुलजिम पर बलात्कार का इल्जाम मढ़ दिया कि उसने शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए और अब शादी से इनकार कर रहा है। वर्ष 2019 में एसपी को शिकायत होने पर झाबुआ पुलिस ने बलात्कार का केस दर्ज किया था।
मामला विशेष अदालत में चला तो मुलजिम ने खुद को बेगुनाह बताया। उसने स्वीकारा कि उसके महिला से प्रेम संबंध थे और उनके बीच सहमति से शारीरिक संबंध भी बने। कोर्ट में पंचों ने भी गवाही देकर पीडि़ता से दूसरी शादी होने की बात कही। महिला ने भी स्वीकारा कि उसे किराए के घर में रखा जाता था। मकान किराए से लेकर खाने-पीने तक का खर्चा मुलजिम उठाता था।
महिला पहली शादी होने का पता चलने के बाद भी लंबे समय से मुलजिम के साथ रहती थी और दोनों में पति-पत्नी जैसा बर्ताव होता था। ऐसे में कोर्ट ने इसे शादी का झांसा देकर बलात्कार करना नहीं माना। जज मुकेश नाथ ने महिला को पत्नी वाले अधिकार नहीं देने की प्रवृत्ति को सामाजिक अन्याय मानते हुए कानून में इसका कोई औपचारिक इलाज होना नहीं बताया, किंतु उससे बलात्कार होना नहीं माना और मुलजिम को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया।
‘दहेजदापा’ प्रथा का हवाला, सवा दो लाख रुपए दिए थे पीडि़ता के घरवालों को
मुलजिम का कहना था कि उसने महिला से गांव के पंचों के सामने दूसरी शादी की थी। वह और फरियादिया दोनों आदिवासी समाज के हैं, जिसमें लंबे समय से ‘दहेजदापा’ की प्रथा चली आ रही है। इसमें पुरुष एक से अधिक शादी कर सकता है, जिसे सामाजिक मान्यता प्राप्त है। उसने रस्म के मुताबिक शादी करते समय वर्ष 2014 में सवा दो लाख रुपए महिला के परिजनों को भी दिए थे, फिर भी महिला उसे स्वयं के घर में नहीं रखने के कारण व मकान खरीदकर देने के लिए दबाव बना रही थी, जिसके चलते 15 साल बाद रेप की एफआईआर लिखाई थी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved