मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ED)की कार्रवाई से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए, महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) ने एक सप्ताह में तीसरी बार ईडी के समन (Summons) की अनदेखी करते हुए उसका जवाब (Respond) नहीं दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्रीय एजेंसी की ओर से उसके खिलाफ जांच ‘पारदर्शी नहीं’ थी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) मुंबई के सहायक निदेशक तस्सीन सुल्तान को लिखे एक पत्र में देशमुख ने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन सार्वजनिक सेवा के लिए समर्पित कर दिया है और चल रही जांच के संचालन में किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने में वो संकोच नहीं करेंगे।
72 वर्षीय वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता ने कहा, हालांकि, घटनाओं की एक श्रृंखला ने मेरे दिमाग में एक वास्तविक आशंका को जन्म दिया है कि न तो कानून की प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है और न ही कोई निष्पक्ष या पारदर्शी जांच की जा रही है। देशमुख ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसे कुछ दिनों में सूचीबद्ध किया जाएगा और ईडी को शीर्ष अदालत में अपना फैसला आने तक इंतजार करना होगा।
उन्होंने कहा, मुझे विश्वास है कि आपका अच्छा आत्म वास्तव में किसी भी पूर्वाग्रह या पूर्वाग्रह की छाप को दूर करेगा जो मेरे दिमाग में अधिक पारदर्शी और उद्देश्यपूर्ण तरीके से जांच करके जमा हुआ है। मैं केवल अपने कानूनी उपायों का सहारा ले रहा हूं ।
बमुश्किल एक हफ्ते में यह तीसरी बार है कि देशमुख – जिन पर ईडी ने 25 जून को छापा मारा था, और उनके कम से कम 2 करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया था – उन्होंने जांच में शामिल होने के लिए ईडी के समन को ठुकरा दिया है। जहां देशमुख को आज समन किया गया, वहीं उनके बेटे हृषिकेश को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह की शिकायत के बाद कथित धन शोधन के आरोपों की जांच के लिए मंगलवार, 6 जुलाई को तलब किया गया है।
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