भोपाल। वैक्सीनेशन (Vaccination) को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (kamalnath) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) से तीखे सवाल किये हैं. उन्होंने सोशल मीडिया (Social Media) के जरिये कहा है कि ‘सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन पहले भी मुफ्त लग रही थी और निजी अस्पतालों में पहले भी पैसा लिया जा रहा था. आम नागरिकों के लिए जो स्थिति पहले थी, वही अब है, तो आखिर प्रधानमंत्री जी ने कौन सी वैक्सीन मुफ्त की है?’
कमलनाथ (kamalnath) ने कहा कि यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि टीकाकरण को लेकर केंद्र सरकार के पास असल में कोई योजना ही नहीं है. जिस देश में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (First Prime Minister Pandit Jawaharlal Nehru) के जमाने से टीकाकरण का काम केंद्र सरकार करती आई है, वहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने पहले तो यह काम राज्यों पर डाल दिया. उसके बाद राज्यों ने ग्लोबल टेंडर जारी किये. मध्य प्रदेश सरकार (MP Government) ने भी इस आशय की घोषणा की. सुप्रीम कोर्ट (SC) से फटकार पड़ने के बाद अब प्रधानमंत्री ने 21 जून से टीकाकरण का काम केंद्र के जिम्मे करने की बात कही है. दूसरी तरफ मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हो गई है. सीमित टीकाकरण और लॉकडाउन (Lockdown) की समाप्ति गंभीर चुनौती लेकर आ रही है.
कांग्रेस सरकार ने देश को गंभीर बीमारियों के टीके के निर्माण में सक्षम बनाया
आज़ादी के बाद से ही कांग्रेस (Congress) सरकार ने देश को बीसीजी, चेचक के अलावा पोलियो, रेबीज, डिप्थीरिया, टिटनेस जैसी गंभीर बीमारियों के टीके के निर्माण में सक्षम बना दिया था. 1978 में भारत के राष्ट्रीय टीकाकरण अभियान से दुनिया भर ने सीखा. अपनी नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ने की बजाय , इस इतिहास व सच्चाई को पढ़ लेते तो शायद आज देश में जीवन को लेकर ऐसा संकट नही आता और ना वैक्सीन को लेकर हमारे देश की यह स्थिति होती ? मोदी जी अगर आपने समय रहते 100 साल में आई सबसे बड़ी विपत्ति को पहचान लिया होता, तो देश में इतनी बड़ी संख्या में लोगों की जान नहीं जाती. समय रहते वैक्सीनेशन हो सकता था, लेकिन तब आप रैलियों में व्यस्त रहे.
सरकार के कुप्रबंधन का खामियाजा भुगत रही है जनता
इधर, मध्य प्रदेश की मध्य प्रदेश सरकार पर भी हमलावर होते हुए कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार जिस तरह से कोरोना वायरस महामारी से निपट रही है, उससे प्रदेश की जनता का दिल टूट रहा है. अपने कुप्रबंधन से निपटने का उपाय करने के बजाय शिवराज सरकार ने संक्रमित और मृत व्यक्तियों के आंकड़ों को छुपाने की ही बहादुरी दिखाई है. जब-जब कोई समस्या सामने आई तो सरकार ने हवाई घोषणाएं और सत्य बोलने वालों पर मुकदमा दर्ज करके उस समस्या को छुपाने का प्रयास किया.
मध्य प्रदेश में 6 जून 2021 के आंकड़ों पर विश्वास करें तो 1.11 करोड़ लोगों को टीके की एक डोज और महज 18.57 लाख लोगों को वैक्सीन की दूसरी डोज लगी है. प्रदेश की जनसंख्या के अनुपात में देखें तो 15.25 फीसदी लोगों को टीके का एक डोज और 2.53 फीसदी लोगों को टीके के दोनों डोल लगे हैं.
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