मुंबई. Maharashtra के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) पर लगाए गए वसूली के आरोपों को लेकर महाराष्ट्र की राजनीति में मचे भूचाल के बाद अब सीबीआई (CBI) की एक कथित रिपोर्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज कर दी है. सीबीआई की कथित रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है इस पर तो अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन इस रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने वसूली कांड में अनिल देशमुख को क्लीनचिट जरूर दे दी है. खबर है कि ये कथित क्लीनचिट सीबीआई द्वारा प्राथमकि जांच के बाद दी गई है.
सीबीआई की कथित रिपोर्ट के बारे में जो जानकारी मिली है उसमें कहा गया है कि अनिल देशमुख की ओर से कोई संज्ञेय अपराध नहीं किया गया है. अब सवाल उठ रहा है कि अगर सीबीआई ने प्रारंभिक जांच में भी अनिल देशमुख को क्लीन चिट दे दी थी तो फिर उनके खिलाफ बाद में एफआईआर क्यों दर्ज की गई. सीबीआई की वायरल रिपोर्ट को Dy SP आरएस गुंज्याल ने तैयार किया है. इस रिपोर्ट में अनिल देशमुख पर लगाए गए आरोपों के कई पहलुओं पर बात की गई है. रिपोर्ट में सचिन वाजे की भूमिका पर भी काफी कुछ बताया गया है.
60 पेज की रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि सचिन वाजे सीधे मुंबई सीपी को रिपोर्ट करते थे. रिपोर्ट में साफ तौर पर इस बात का जिक्र किया गया है कि सचिन वाजे और अनिल देशमुख के बीच किसी भी तरह की कोई मीटिंग हुई थी ऐसे कोई सबूत नहीं है. रिपोर्ट में बताया गया है कि हर मीटिंग में वाजे के साथ परमबीर सिंह जरूर होते थे. ये मीटिंग सीएम आवास पर होती थीं. वायरल रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि सचिन वाजे की तब के गृहमंत्री के साथ कोई मीटिंग हुई थी. कुछ औपचारिक बैठकें जरूर हुई थीं, लेकिन उन सभी बैठकों में दूसरे अधिकारी भी मौजूद थे.
रिपोर्ट में दावा: वसूली के नहीं मिले कोई सबूत
कथित रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले है जिससे पता चले कि गृहमंत्री या फिर उनके पीएस संजीव पलांडे ने किसी हुक्का बार के मालिक से पैसा इकट्ठा करने की बात कही थी. इसके साथ ही रिपोर्ट में एसीपी संजय पाटिल और डीसीपी भुजपाल के बयान को भी शामिल किया गया है जिसमें दोनों ही अधिकारियों ने कहा है कि कोई पैसों की डिमांड नहीं की गई थी.
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