पुलिस कमिश्नरी को मिली शिकायत के बाद दर्ज हुई एफआईआर, कूटरचित दस्तावेजों से किया फर्जीवाड़ा, बोगस एनओसी और चेक से ठगा कारोबारी को
इंदौर। कल ईओडब्ल्यू (EOW) ने निगम (Corporation) के दरोगा (Inspector) के ठिकानों पर छापा मारा और आय से अधिक सम्पत्ति ढूंढ निकाली। वहीं दूसरी तरफ निगम के पूर्व चर्चित इंजीनियर (Engineer) जमीन की धोखाधड़ी (Fraud) में फंसे, जिनके खिलाफ पुलिस (Police) ने एफआईआर (FIR) भी दर्ज की है। कूटरचित दस्तावेजों से जमीन से ही जुड़े एक कारोबारी के साथ पौने 3 करोड़ रुपए की ठगी की गई और पुलिस कमिश्नर को मय प्रमाण की गई शिकायत के आधार पर थाना लसूडिय़ा ने भरत शर्मा और श्यामचरण शर्मा के खिलाफ ये एफआईआर दर्ज की। हालांकि इसमें कुछ धाराएं कम भी लगाई गई है। अनुबंध की शर्तों के पालन न करने, फर्जी एनओसी और भ्रामक जाहिर सूचना के माध्यम से यह धोखाधड़ी की गई। जमीन मायाखेड़ी में स्थित है, जिसमें से 47 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक जमीन का सौदा किया गया, जिसमें 2 करोड़ 74 लाख रुपए की राशि की धोखाधड़ी सागर वाधवानी के साथ की गई।
पिछले दिनों पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र (Police Commissioner Harinarayanchari Mishra) को जमीनों के कारोबार में संलग्न सागर पिता गिरीश वाधवानी ने लिखित शिकायत सौंपी, जिसमें उसने बताया कि दिसम्बर-2018 में उससे भरत उर्फ गब्बू तथा श्यामचरण पिता उमाशंकर शर्मा राधाकुंज निवासी ने उनसे सम्पर्क किया और बताया कि उनके स्वामित्व व आधिपत्य की मायाखेड़ी की स्थित सर्वे नं. 30/1 तथा सर्वे नं. 31/2/2 की लगभग 47 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक है। भरत उर्फ गब्बू ने श्रीमती निवेदिता भोरकर के साथ संयुक्त रूप से ये जमीन खरीदी, जिसमें से भरत का साढ़े 7 हजार स्क्वेयर फीट का हिस्सा था और उसने बताया कि जमीन विक्रय किए जाने के बारे में श्रीमती निवेदिता को कोई आपत्ति नहीं है। उक्त जमीन की कुल कीमत 4 करोड़ 60 लाख 40 हजार रुपए देना तय किया गया और उसमें से पहले 15 लाख, फिर 10 लाख के चेक के जरिए 25 लाख रुपए लिए गए। तत्पश्चात इसी तरह अलग-अलग तारीखों में कुल मिलाकर 2 करोड़ 74 लाख रुपए की राशि प्राप्त की गई। उल्लेखनीय है कि श्याम शर्मा पूर्व में इंदौर नगर निगम में ही इंजीनियर रहा है और उसने कुछ समय पूर्व नौकरी छोड़ दी थी। जनकार्य विभाग में नक्शे मंजूरी से लेकर अन्य सेटिंग के काम श्याम शर्मा लम्बे समय तक करता रहा। सागर वाधवानी ने अपनी शिकायत में यह भी कहा कि उक्त दोनों लोगों ने सर्वे नं. 30/1 और 31/2/2 के अविभक्त 1/2 भाग को विक्रय किए जाने का अनुबंध किया और जिसमें यह भी तय हुआ कि अनुबंधित भूमि के भाग पर काबिज विकास चौहान से एनओसी लाकर देंगे और जमीन की सरकारी नपती, बटांकन करवाने के बाद बैंक से विक्रय की एनओसी भी मिलेगी और उपरोक्त सभी कार्य के पश्चात शेष राशि दी जाएगी और श्रीमती निवेदिता की भी एनओसी लेकर देंगे। मगर बाद में अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया और भ्रामक जाहिर सूचना का प्रकाशन भी करवाया और धोखाधड़ी से पौने 3 करोड़ रुपए की राशि ले ली गई।
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