90 के दशक में कभी खालिस्तानी आतंकवादियों का पीछा करने वाले पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी आजकल खुद गिरफ्तारी से बचने के लिए छिपते फिर रहे हैं.
एक ऐसा पुलिस अधिकारी जिसकी कभी पंजाब में तूती बोलती थी आज खुद पुलिस से बचने के लिए मारा मारा फिर रहा है. अपहरण, हिरासत में दी गई यातना, मौत और उसके बाद आरोपी की लाश गायब करने के मामले में प्रमुख अभियुक्त सुमेध सिंह सैनी 1 सितंबर से भूमिगत हैं. बीते दिन मोहाली की एक अदालत ने इस मामले में सैनी द्वारा दी गई अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
याचिका खारिज करते हुए जज ने कहा था कि सुमेध सिंह सैनी एक बेहद गंभीर अपराध में आरोपी हैं और उनको राहत के तौर पर अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती. सैनी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है और वे गिरफ्तारी से बचने के लिए किसी अज्ञात स्थान पर छिपे हुए हैं. कहने को पंजाब पुलिस अब तक उनको गिरफ्तार करने के लिए हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, हरियाणा और दिल्ली समेत कई जगहों पर छापेमारी कर चुकी है लेकिन सैनी का कोई अता-पता नहीं है.
निचली अदालत से जमानत की अर्जी खारिज हो जाने के बाद पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के जज सुबीर सहगल ने उनकी याचिका पर सुनवाई करने से ही इनकार कर दिया. अब इस याचिका को किसी दूसरे जज को सौंपा जाएगा और उसमें अभी कम से कम तीन से चार दिन का वक्त लग सकता है. हैरानी की बात यह है कि सैनी को जेड प्लस सुरक्षा मिली हुई है लेकिन वह सुरक्षा कर्मचारियों को बिना बताए गायब हैं.
याचिकाकर्ता और पीड़ित बलवंत सिंह मुल्तानी के भाई पलविंदर सिंह मुल्तानी के वकील प्रदीप विर्क का आरोप है कि सैनी ने बिना बताए चंडीगढ़ छोड़कर कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की है. एक बेहद गंभीर आपराधिक मामला झेल रहे सैनी ने कोर्ट के आदेशों की अवहेलना करने के बाद अपनी जमानत की राह में खुद ही रुकावट पैदा कर दी है. देखना दिलचस्प होगा कि क्या पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट सैनी की जमानत याचिका मंजूर करते हुए उनको कोई राहत देता है या फिर उनको बेल के स्थान पर जेल मिलती है.
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