भोपाल। इंदौर के खासगी ट्रस्ट द्वारा देश भर में हजारों करोड़ की संपत्तियां बेचने के मामले में मप्र सरकार के कई रिटायर्ड अफसरों की भूमिका सवालों के घेरे में है। क्योंकि ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल रहे अफसरों की सहमति से दी ट्रस्ट ने देश के कई राज्यों में संपत्तियों को कौढिय़ों के मोल बेचा है। ऐसे में दो पूर्व मुख्य सचिव एमपी श्रीवास्तव एवं बीपी सिंह ने भी संपत्ति बेचने की मंजूरी के लिए हस्ताक्षर किए थे। तब बीपी सिंह इंदौर के संभागायुक्त थे। वे अब मप्र राज्य निर्वाचन आयोग के आयुक्त हैं। निष्पक्ष जांच के लिए बीपी को इस जिम्मेदारी से हटाया जा सकता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देवी रानी अहिल्याबाई होल्कर के देशभर में संपत्यिों को बेचने पर नाराजगी जताई है। उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के बाद तत्काल लोक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अलग विभाग बना दिया है और मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ अफसरों की साधिकार समिति का गठन भी कर दिया है। मुख्यमंत्री ने हाईकोर्ट के निर्देश के परिपालन में संपत्तियां बेचने का मामला ईओडब्ल्यू को सौंप दिया है। संपत्तियां बेचने के मामले में कई रिटायर्ड अफसरों की भूमिका सामने आ रही है, ऐसे में जांच एजेंसी उनसे पूछताछ भी कर सकती है। बीपी सिंह 8 जून 2007 से 23 मई 2011 तक इंदौर संभाग के आयुक्त रहे हैं। खासगी ट्रस्ट ने इस दौरान प्रदेश एवं दूसरे राज्यों में संपत्तियों का सौदा किया था। खबर है कि खासगी ट्रस्ट मामले में बीपी सिंह की राज्य निर्वाचन आयोग से विदाई हो सकती है।
…तो तीसरे पूर्व सीएस होंगे बीपी सिंह
यदि खासगी ट्रस्ट की संपत्तियां बेचने के मामले में बीपी सिंह को राज्य निर्वाचन आयोग से हटाया जाता है तो वे तीसरे पूर्व मुख्य सचिव होंगे, जिनका मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पुनर्वास खत्म किया है। इससे पहले पूर्व मुख्य सचिव आर परशुराम को सुशासन संस्थान एवं अंटोनी डिसा को रेरा के अध्यक्ष पद से हटाया जा चुका है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved