भोपाल: मध्यप्रदेश के छतरपुर (Chhatarpur) के पूर्व कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह (Sheilendra Singh) को 7 दिन की जेल, हाईकोर्ट ने अवमानना के मामले में सुनाई दो आईएएस को सजामध्य प्रदेश हाई कोर्ट (High Court) ने अवमानना के मामले (contempt cases) में 2 आईएएस अधिकारियों को सात दिन की जेल की सजा सुनाई है. दोनों अधिकारियों पर 50-50 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है. कोर्ट के इस फैसले से ब्यूरोक्रेसी में हड़कंप की स्थिति है. सरकार की ओर से चीफ जस्टिस के सामने दोनों अधिकारियों की जमानत के लिए तुरंत अर्जी लगा दी गई है.
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस जीएस अहलूवालिया ने छतरपुर के तत्कालीन कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और अपर कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को दोषी मानते हुए गुरुवार (17 अगस्त) को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज जस्टिस अहलूवालिया ने दोनों अधिकारियों को 7-7 दिन के कारावास की सजा सुना दी. दोनों अधिकारियों को तुरंत ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया.
दरअसल, पूरा मामला स्वच्छता मिशन के तहत संविदा आधार पर छतरपुर में नियुक्त की गई जिला समन्वयक रचना द्विवेदी के नियम विरुद्ध स्थानांतरण का है. जिला समन्वयक रचना द्विवेदी का पहले तो नियम विरुद्ध तरीके से दोनों अधिकारियों ने तबादला कर दिया. इसके बाद जब उस आदेश के विरुद्ध रचना द्विवेदी हाई कोर्ट का स्टे लेकर पहुंची तो उस आदेश को न मानते हुए अधिकारियों ने वापस जॉइनिंग नहीं दी.
इतना ही नहीं अधिकारियों ने जिला समन्वयक रचना द्विवेदी को सेवा भी बर्खास्त कर दिया गया. अधिकारियों के इस रवैया के खिलाफ साल 2021 में रचना द्विवेदी हाईकोर्ट पहुंची और अवमानना याचिका को दायर करते हुए दोनों ही अधिकारियों के विरुद्ध एक लंबा मुकदमा लड़ा. याचिकाकर्ता रचना द्विवेदी के अधिवक्ता डी के त्रिपाठी ने बताया कि जस्टिस एस एस अहलूवालिया ने अवमानना के इस मामले में पूर्व सुनवाई के दौरान दोनों आईएएस अधिकारियों को दोषी पाया था और फैसला सुरक्षित कर लिया था.
आज शुक्रवार को दोपहर 2:30 बजे हाई कोर्ट ने जैसे ही दोनों अधिकारियों को सजा सुनाई तो प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया.कोर्ट के आदेश के तुरंत बाद तत्कालीन छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह और एडिशनल कलेक्टर अमर बहादुर सिंह को न्यायिक अभिरक्षा में ले लिया गया. इसके बाद सरकार की ओर से आनन-फानन में दोनों अधिकारियों की जमानत के लिए चीफ जस्टिस रवि मलिमथ की कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई. शाम साढ़े पांच बजे समाचार लिखे जाने तक उनकी जमानत नहीं हो सकी थी.
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