अंबेडकर: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) गुना जिले की राघोगढ़ रियासत के राजा भी कहलाते हैं, उनके नाम से कई जमीने भी हैं. लेकिन यूपी के अंबेडकर जिले (Ambedkar district of UP) में उनकी स्वर्गीय मां के नाम से एक जमीन थी जिसका किसी और के नाम पर बैनामा कर दिया गया. जब यह फर्जी बैनामा 35 साल बाद सामने आया तो इसका खुलासा हुआ.
बताया जा रहा है कि फर्जी बैनाम के दम पर ही जो लोग खुद जमीन के मालिक बने थे उन्होंने इस पर निर्माण कार्य शुरू करा दिया था. इस जमीन की देखभाल करने वाले शख्स ने पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को इसकी जानकारी दी है, जिसके बाद उन्होंने पूरे मामले की शिकायत अंबेडकर नगर जिले के प्रशासन से की है.
दरअसल, मामला यूपी के अंबेडकर नगर जिले में आने वाले रामनगर महुवर गांव का है, यहां के डीएम और एसडीएम को दिग्विजय सिंह ने एक शिकायत भेजी है, जिसमें बताया गया कि 21 फरवरी को उनकी पेतृक जमीन पर काम शुरू हुआ है, ऐसे में जैसे ही इसकी शिकायत प्रशासन के पास पहुंची तो तुरंत ही काम रुकवा दिया गया और जमीन के कागजों की जांच शुरू हुई. क्योंकि प्रशासन को भी यह मामला संदिग्ध लग रहा है. क्योंकि इस जमीन के कई केयरटेकर सामने आ रहे हैं. बता दें कि गाटा संख्या 1235 की 0.152 हेक्टेयर जमीन दिग्विजय सिंह के नाम पर दर्ज है.
बता दें कि यह जमीन दिग्विजय सिंह की स्वर्गीय मां को मिली थी, जिनका निधन 18 फरवरी 1986 को हुआ था, ऐसे में उनकी यह जमीन दिग्विजय सिंह और उनके छोटे भाई लक्ष्मण सिंह के नाम पर हो गई. आज के वक्त में इस जमीन की कीमत 50 लाख रुपए से ज्यादा बताई जा रही है. जमीन की देखरेख करने वाली अनिल यादव ने बताया कि गांव में ही रहने वाले रामहरक चौहान नाम के एक शख्स ने खुद को दिग्विजय सिंह का पावर ऑफ अटॉर्नी बताकर यह जमीन का बैनामा राजबहादुर, मंगली और जियालाल के नाम बैनामा कर दिया, ऐसे में जैसे ही इस जमीन पर निर्माण काम शुरू हुआ तो इसकी जानकारी दिग्विजय सिंह तक पहुंची.
भले ही लोकतंत्र में रियासतों का दौर खत्म हो गया, लेकिन दिग्विजय सिंह राघोगढ़ रियासत से संबंध रखते हैं और इस रियासत के राजा भी माने जाते हैं, ऐसे में उन्हें आज भी कई लोग राजासाब कहते हैं. इतिहास के हिसाब से इस जमीन का संबंध दिग्विजय सिंह की मौसी विमला देवी से है, जिनकी शादी राजा महेश्वरी से हुई थी. लेकिन जब भूमि अधिग्रहण का अधिनियम शुरू हुआ तो राजा महेश्वरी ने इस जमीन को सीलिंग में जाने से बचाने के लिए दिग्विजय सिंह की मां अपर्णा देवी के नाम कर दिया था. जबकि उनके निधन के बाद यह जमीन उनके नाम आ गई थी. इसलिए 35 साल बाद यह मामला चर्चा में आया है.
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