नई दिल्ली (New Delhi) । राम मंदिर आंदोलन (Ram Mandir Movement) के बड़े चेहरे और उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (Former Chief Minister Kalyan Singh) की आज 92वीं जयंती है। वह 2 बार यूपी के सीएम बने और लोग उन्हें देश की राजनीति में हिंदुत्व के नायक का खिताब देते हैं। कल्याण सिंह ने कभी भी पद पर बने रहने के लिए उसूलों से समझौता नहीं किया। इंटर कॉलेज के टीचर से लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल बनने तक का सफर उनके लिए कांटों भरा रहा। भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ तो कल्याण सिंह प्रदेश संगठन में पदाधिकारी बनाए गए। उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में जान फूंकनी शुरू की। उनकी सक्रियता से बीजेपी को यूपी में काफी मजबूती मिली। 90 के दशक में देश की राजनीति मंडल और कमंडल के इर्द-गिर्द घूमने लगी।
साल 1991 में विधानसभा चुनाव हुआ और भाजपा ने उत्तर प्रदेश में सरकार बना ली। कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बनाए गए। वह राम मंदिर के लिए बड़ी आस बनकर उभरे। इस दौरान राज्य के युवाओं की ओर से एक नारा दिया गया- ‘कल्याण सिंह कल्याण करो, मंदिर का निर्माण करो।’ यह नारा खूब लोकप्रिय हुआ और पूरे यूपी में इसकी गूंज सुनाई दी। यूपी में उस वक्त कल्याण सिंह की छवि यूथ आइकन के तौर पर बनी। कहा जाता है कि इससे बीजेपी को राम भक्तों की पार्टी के तौर पर पहचान मिली।
डीजीपी को कल्याण सिंह ने दिया था क्या आदेश
मालूम हो कि कल्याण के मुख्यमंत्री रहते ही 1992 में कारसेवकों ने विवादित बाबरी ढांचा गिरा दिया। 6 दिसंबर 1996 को तत्कालीन सीएम कल्याण सिंह अपने आवास पर बैठकर टीवी देख रहे थे। इस दौरान उनके साथ मंत्रिमंडल के सहयोगी लालजी टंडन और ओपी सिंह मौजूद थे। राज्य के तत्कालीन डीजीपी सीएम कल्याण सिंह से मिलने उनके आवास पर पहुंचे। कल्याण ने उन्हें लाठी-डंडे और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल करने की छूट दी। मगर, कारसेवकों पर फायरिंग करने की इजाजत देने से साफ तौर पर इनकार कर दिया। डीजीपी की ओर से जब तक इस पर कोई ऐक्शन लिया जाता, तब तक बाबरी ढांचा गिराया जा चुका था।
बाबरी ढांचा गिरने के बाद सीएम पद से दिया इस्तीफा
कल्याण सिंह ने बड़े गर्व से पूरी घटना की जिम्मेदारी ली और राम मंदिर आंदोलन के लिए अपनी पूर्ण बहुमत वाली सरकार कुर्बान कर दी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया। बाबरी विध्वंस के बाद सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं यूपी का सीएम था। जो हुआ, उसकी मैं पूरी तरह जिम्मेदारी लेता हूं। ढांचा गिर गया तो मैंने उसकी कीमत चुकाई। मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। अभी और क्या कोई हमारी जान लेगा? राम मंदिर बनाने की खातिर एक क्या 10 बार सरकार कुर्बान करनी पड़ेगी तो करेंगे।’
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