नई दिल्ली। पाकिस्तान के साथ तनाव के चलते नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने डिफेंस ऑडिट रिपोर्ट्स को वेबसाइट पर न डालने का फैसला किया था। पूर्व सीएजी राजीव महर्षि ने रिटायर होने से एक दिन पहले यह बात कही। महर्षि ने कहा कि पड़ोसी देशों के साथ तनाव को देखते हुए यह तय किया गया था कि कुछ डिफेंस रिपोर्ट्स और भविष्य में किसी भी तरह की डिफेंस-रिलेटेड ऑडिट फाइंडिंग्स को नहीं अपलोड किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब हमने गोला-बारूद की कमी को लेकर रिपोर्ट पेश की, उस समय पाकिस्तान के साथ खासा तनाव चल रहा था। हमने संसद और लोक लेखा समिति (पीएसी) के सामने रिपोर्ट तो पेश कर दी थी, लेकिन वह पाकिस्तान या चीन के हाथ आसानी से नहीं लगनी चाहिए। उन्होंने मीडिया को भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मसले पर सावधानी से रिपोर्ट करने की नसीहत दी।
महर्षि ने कहा कि सभी सीएजी रिपोर्ट्स जांच के लिए संसद और पीएसी के सामने पेश की जाती हैं और सांसदों के लिए उपलब्ध रहती हैं। उन्होंने कहा कि हमने इसे एक ‘सार्वजनिक दस्तावेज की तरह जारी करना बंद कर दिया क्योंकि इससे दुश्मन देश भी उसे एक्सेस कर सकता है।’ उन्होंने कहा कि अगर रिपोर्ट की फाइंडिंग्स मीडिया में खूब छपें तो भी सीएजी रिपोर्ट जैसी एनालिटिकल फाइंडिंग्स को आसानी से उपलब्ध नहीं होना चाहिए।
पूर्व सीएजी ने कहा कि हम डिफेंस रिपोर्ट्स की कॉपीज मीडिया के साथ साझा करते हैं और प्रेस से उम्मीद करते हैं कि वह जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग करेगा। रक्षा तैयारियों या हथियारों से जुड़ी जानकारियों के बारे में लिखते समय मीडिया से बेहद सावधान रहने की अपेक्षा की जाती है।
तीन साल सीएजी की भूमिका निभाने के बाद महर्षि शुक्रवार को रिटायर हुए। उनके बाद जम्मू और कश्मीर के पूर्व उप-राज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू देश के अगले सीएजी बने हैं। सीएजी बनने से पहले, महर्षि वित्त सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। बाद में रिटायरमेंट से ठीक एक दिन पहले उन्हें दो साल के लिए गृह सचिव बना दिया गया था। मुर्मू ने शनिवार को राष्ट्रपति के सामने पद की शपथ ग्रहण की। वह भी वित्त मंत्रालय में सचिव रह चुके हैं।
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