नागदा। क्षमा हृदय की दिव्यज्योति है, आज मेचिंग का जमाना है, कपड़े, दीवार, फर्नीचर सहित सभी जगह हम मेचिंग करते हैं। हमें इसी प्रकार प्राणी मात्र से मेचिंग का स्वभाव अपनाना चाहिए। अपने कड़वे वचनों से सामने वाले के दिल में हजार टुकड़े हो जाते है जो कभी जुड़ते नहीं है। अगर भगवान महावीर की संतान समुदाय शिष्य जैन होते तो एक होते अनेक नहीं, अगर अनेक है तो वह महावीर की संतान नहीं है। यह बात महावीर भवन में आयोजित स्थानकवासी व मूर्तिपूजक जैन समाज के क्षमापना पर्व पर आयोजित धर्मसभा में मूर्तिपूजक जैन समाज की महासति तत्वलताश्रीजी ने की।
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