भोपाल। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को गंभीरता से लिया जिसमें आरोप लगाया गया है कि चंद्रपुर महाराष्ट्र से 500 किलोमीटर चलकर आए एक बाघ की कान्हा टाइगर रिजर्व में व्यवस्था किए जाने की बजाय उसे भोपाल के वन विहार में एकांत कारावास की सजा दे दी गई। चीफ जस्टिस ए के मित्तल व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बेंच ने नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी, राष्ट्रीय जू अथॉरिटी, कान्हा टाइगर रिजर्व, वन विहार भोपाल, राज्य सरकार के वन विभाग सहित अन्य को नोटिस जारी कर मामले पर जवाब तलब किया। अगली सुनवाई 5 अगस्त नियत की गई।
नोएडा उत्तर प्रदेश निवासी संगीता डोगरा की ओर से यह जनहित याचिका दायर की गई। इसमें कहा गया कि 2018 में चंद्रपुर जिले से भटक कर एक बाघ मध्य प्रदेश की सीमा में स्थित कान्हा टाइगर रिजर्व तक आ पहुंचा। इस दौरान उसने 500 किलोमीटर का सफर तय कर लिया लेकिन उसकी कोई खोज खबर नहीं ली गई। कान्हा टाइगर रिजर्व में पहुंचने के बाद भी टाइगर के लिए समुचित व्यवस्थाएं नहीं की गई। जून 2020 में एक नागरिक पर टाइगर के हमले की खबर के बाद मध्यप्रदेश के वन विभाग ने उसे पकड़ कर भोपाल स्थित वन विहार भेज दिया। जहां उसे पिंजरे में कैद कर एकांत कारावास में रखा गया है। याचिकाकर्ता ने स्वयं अपना पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि वन विभाग के अधिकारी वन्य प्राणियों व टाइगर की सुरक्षा के प्रति लापरवाह है। उन्होंने पूरे मामले की जांच करा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश देने का आग्रह किया। राज्य सरकार की ओर से उप महाधिवक्ता स्वप्निल गांगुली व केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलीसीटर जनरल जेके जैन उपस्थित हुए।
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