हरे-भरे जंगलों के बदले मिली बंजर पथरीली जमीनें
इंदौर। प्रदीप मिश्रा
मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास केंद्र और जिला उद्योग व्यापार केंद्र सहित कई सरकारी विभाग, पीथमपुर- सेवन, फर्नीचर क्लस्टर जैसे विकास कार्यो में अड़ंगे डालने के लिए इंदौर वन विभाग पर गम्भीर आरोप लगाते आए हैं कि जब भी सरकार या प्रशासन कोई महत्वपूर्ण परियोजना लाता है, तो वन विभाग सरकारी जमीन को अपनी जमीन बताकर काम रुकवा देता है। इस वजह से कई महत्वपूर्ण योजनाएं सालो-साल के लिए अटक जाती हैं, जबकि इंदौर वन विभाग का कहना है कि विकास कार्यों के लिए वह अब तक 12 से ज्यादा सरकारी महकमों को हजारों हेक्टेयर जंगल और जमीनें दे चुका है।
इंदौर वन विभाग के रिकार्ड के अनुसार बीते सालों में उसने लगभग 13 प्रोजेक्ट के लिए 5854.387 हेक्टेयर जंगल की जमीन दी है। जिन्हें जमीनें दी हैं, उनमे देवी अहिल्या एयरपोर्ट, आईआईटी, मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट जैसे महत्वपूर्ण संस्थानों के अलावा सेना, विद्युत वितरण कम्पनी, नेशनल हाईवे विभाग, पीडब्ल्यूडी, नर्मदा-शिप्रा लिंक परियोजना, गम्भीर लिंक परियोजना, चोरल और बेरछा फायरिंग रेंज फील्ड जैसी कई परियोजनाएं, विभाग अथवा प्रोजेक्ट शामिल हैं।
हरी-भरी जमीनों के बदले पथरीली जमीनें
वन विभाग से विकास कार्यों के लिए जमीनें लेते वक्त कहा गया कि उन्हें जमीन के बदले जमीन और काटे गए पेड़ों के बदले मुआवजा दिया जायेगा। जमीन के बदले वन विभाग को जो जमीनें दी गईं, उनमें से अधिकांश जमीनें बंजर या पथरीली है। इतना ही नहीं इंदौर वन विभाग को जहां जमीनें दी गईं, वह कई किलोमीटर दूर अन्य जिलों में हैं।
इंदौर वन विभाग ने अब तक 12 से ज्यादा सरकारी विभागों को लगभग 6000 हेक्टेयर जंगल की जमीने ंदी हैं।
-नरेंद्र पंडवा, डीएफओ इंदौर
इन विभागों लिए जंगलों की इतनी जमीन दी
इंदौर एयरपोर्ट 7.884
चोरल फायरिंग रेंज 1989.921
मेट्रो डिपो के लिए 30.178
आईआईटी कॉलेज 80.000
गोकुल्या कुंड 8.005
बेरछा फायरिंग रेंज 3650.012
नर्मदा-गम्भीर लिंक 17.496
400 केवी पावर ग्रिड 13.023
लोटिया तालाब 14.005
सिंगाजी पावर लाइन 15.055
टीपीएच लाइन मानपुर 18 .000
नर्मदा-शिप्रा लिंक परि. 3.949
महामंडलेश्वर सडक़ 5.004
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