नई दिल्ली । जम्मू कश्मीर में (In Jammu-Kashmir) विदेशी (पाकिस्तानी) आतंकी (Foreign [pakistani] Terrorists) हाइब्रिड आतंकियों (Hybrid Terrorists) को तैयार कर रहे है (Are Preparing) । सुरक्षा एजेंसियों की तरफ से (From Security Agencies) ये खुलासा हुआ है (It has been Revealed) । विदेशी आतंकियों की बढ़ी तादाद ने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की चुनौती और बढ़ा दी है। हाल में सामने आ रहीं कश्मीर पंडितों और गैर कश्मीरी लोगों की टारगेट किलिंग इसका बड़ा उदाहरण है।
पिछले दिनों केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के पूर्व महानिदेशक कुलदीप सिंह ने कहा था कि पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से जम्मू-कश्मीर में चुनौतियां कई तरह से बढ़ गई हैं। खासतौर से विदेशी आतंकियों की बढ़ती तादाद ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ाई है। इसके बाद भी सुरक्षाबल और कश्मीर पुलिस लगातार आतंकियों के हर मंसूबों को नाकाम बनाने में जुटे हैं।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ महीनों में स्थानीय आतंकियों के मुकाबले विदेशी आतंकियों की तादाद में बड़ा उछाल आया है। कश्मीर घाटी में अभी कुल 137 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें 54 लोकल आतंकी और 83 विदेशी यानी पाकिस्तानी मूल के आतंकी शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कुछ सालों में सक्रिय आतंकियों में विदेशी आतंकियों की तादाद बढ़ी है, जिससे निपटने के लिए सुरक्षा बलों को खासी तैयारी करनी पड़ रही है। वहीं ये भी पता चला है कि लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों ने इन्हें हाइब्रिड आतंकियों को तैयार करने का काम दिया है।
सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान के आतंकी संगठन अब नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तानी मूल के आतंकियों की मदद से जम्मू कश्मीर में हाइब्रिड आतंकियों को तैयार किया जा रहा है। दरअसल सुरक्षाबलों की मुस्तैदी से स्थानीय आतंकियों की नई भर्ती काफी कम हो गई है। यही वजह है स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकियों की भर्ती न कर पाने से घाटी में मौजूद विदेशी आतंकी ज्यादा से ज्यादा हाइब्रिड आतंकियों को वारदातों के लिए मदद दे रहे हैं। इनमें ऐसे स्थानीय युवक शामिल हैं, जो पहले सक्रिय आतंकियों की स्लीपर सेल के तौर पर मदद किया करते थे, मगर अब वो सीधे आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। इन्ही हाइब्रिड आतंकियों के द्वारा ही टारगेट किलिंग की वारदात को भी अंजाम दिया जाता है।
हाइब्रिड आतंकी सामान्य आतंकी से अलग होते हैं। ये ऐसे स्थानीय युवक होते हैं, जो बिल्कुल सामान्य लोगों की तरह जीवन यापन करते हैं। ये हाइब्रिड आतंकी किसी वारदात को अंजाम देते है, फिर सामान्य तरीके से रहने लगते हैं। यही वजह है कि सुरक्षा एजेंसियों को इन्हें पहचानना और पकड़ना मुश्किल हो जाता है। इनका कोई रिकॉर्ड भी नहीं होता। अब विदेशी आतंकी इन्ही की मदद कर उनसे आतंकी वारदातों को अंजाम दिलवा रहे हैं। खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि घाटी में मौजूद पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा इन्हें हथियार और अन्य मदद भी मुहैया करवाई जा रही है।
जम्मू-कश्मीर में स्थानीय आतंकियों की भर्ती में कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक इस साल 65 से ज्यादा युवक अलग अलग आतंकी संगठनों में भर्ती हुए हैं। वहीं पिछले साल आतंकी भर्ती का ये आंकड़ा 142 था। सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक इस साल अक्टूबर तक सुरक्षा बलों के साथ हुए एनकाउंटर में कुल 168 आतंकी मारे गए हैं। इनमें 47 विदेशी आतंकी और 121 लोकल आतंकी शामिल हैं। वहीं अक्टूबर महीने में अब तक 7 आतंकवादियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है।
जानकारी के मुताबिक इंटेलिजेंस एजेंसी (आईबी) और जम्मू कश्मीर पुलिस स्थानीय युवकों के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा करने में लगी हैं। खासतौर से ऐसे युवक जो अचानक गायब हुए हैं, वहीं सर्च ऑपरेशन और नाकेबंदी को भी कश्मीर घाटी में बढ़ाया गया है। स्थानीय युवकों के कहीं भी आने जाने पर पैनी नजर रखी जा रही है। वहीं दूसरी तरफ घाटी में छिपे बैठे विदेशी आतंकियों को उनके बिल से बाहर निकलने के लिए भी सुरक्षा एजेंसियां लगातार रणनीति बनाने में जुटी हैं।
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