नई दिल्ली। विदेश सचिव विक्रम मिसरी (Foreign Secretary Vikram Misri) ने बुधवार को विदेश मामलों से संबंधित स्थायी संसदीय समिति को बताया कि बांग्लादेश (Bangladesh) ने अपने देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। मिसरी कांग्रेस नेता शशि थरूर (Congress leader Shashi Tharoor) की अध्यक्षता वाली समिति के समक्ष उपस्थित हुए।
समिति के बाद थरूर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘विदेश सचिव कल वहां (बांग्लादेश) से लौटे हैं। यात्रा से अभी लौटे मिसरी हमें पूरी जानकारी देने में सक्षम थे। सभी महत्वपूर्ण प्रश्न जिनकी आप कल्पना कर सकते हैं, सांसदों, समिति के अध्यक्ष द्वारा पूछे गए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘21-22 सांसदों ने बैठक में भाग लिया और बहुत सारे प्रश्न पूछे गए और विदेश सचिव ने व्यापक रूप से उत्तर दिए।’’
सूत्रों का कहना है कि कई सांसदों ने मिसरी से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के भारत में रहने की स्थिति के बारे में पूछा। हालांकि, प्रश्नों पर मिसरी का क्या जवाब था, इस बारे में फिलहाल पता नहीं चल पाया है। समझा जाता है कि मिसरी ने समिति को यह भी बताया कि खबरों के विपरीत, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते की समीक्षा के बारे में बात नहीं की।
बताया जाता है कि थरूर ने मिसरी से सांसदों के बांग्लादेश जाने की संभावना के बारे में पूछा। मिसरी ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले की ‘खेदजनक घटनाओं’ का मुद्दा विदेश सचिव स्तर की बैठक के दौरान सोमवार को उठाया था। मिसरी ने संवाददाताओं से कहा था कि उन्होंने अपने समकक्ष मोहम्मद जशीमुद्दीन के साथ बैठक के दौरान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण सहित भारत की चिंताओं से अवगत कराया।
अगस्त में बड़े पैमाने पर सरकार-विरोधी प्रदर्शनों के चलते तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। हसीना के भारत में शरण लेने के कुछ दिनों बाद ही यूनुस ने अंतरिम सरकार की बागडोर संभाल ली थी। पड़ोसी देश में हुए घटनाक्रम के बाद भारत और बांग्लादेश के बीच संबंधों में तनाव आ गया।
हालिया हफ्तों में बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद दोनों देशों के संबंध और भी तनावपूर्ण हो गए। त्रिपुरा के अगरतला में बांग्लादेश उप उच्चायोग में प्रदर्शनकारियों के जबरन घुसने के मामले पर भी दोनों देशों के संबंधों पर असर पड़ा। पिछले कुछ हफ्तों में पड़ोसी देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं के साथ-साथ मंदिरों पर हमले हुए हैं। भारत ने इन घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है।
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