नई दिल्ली: चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Chinese Foreign Minister Wang Yi) गुरुवार को भारत पहुंचे. शुक्रवार को उनके एनएसए अजीत डोभाल (NSA Ajit Doval) और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (External Affairs Minister Dr. S Jaishankar) से मिलने की संभावना है. मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की ये भारत की पहली यात्रा है. यात्रा का प्रस्ताव चीन की ओर से आया था और वांग चार देशों की अपनी यात्रा के तहत नेपाल, भूटान और बांग्लादेश की भी यात्रा करना चाहते हैं. नेपाल के ‘काठमांडू पोस्ट’ ने कुछ दिन पहले बताया था कि वांग दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर 26 मार्च को नेपाली राजधानी पहुंचने वाले हैं.
पिछले डेढ़ साल में विदेश मंत्री एस जयशंकर और वांग ने पूर्वी लद्दाख में तनाव को कम करने के लिए मॉस्को और दुशांबे में कई दौर की बातचीत की. सितंबर 2020 में, जयशंकर और वांग ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन के इतर मास्को में व्यापक बातचीत की थी, जिस दौरान वे पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध को हल करने के लिए पांच सूत्री सहमति पर पहुंचे थे. इसमें सैनिकों को जल्दी पीछे हटाने, तनाव को बढ़ाने वाली कार्रवाई से बचने, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति बहाल करने के कदम जैसे उपाय शामिल थे.
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने पिछले साल जुलाई में ताजिकिस्तान के राजधानी शहर दुशांबे में एससीओ की एक अन्य बैठक के इतर द्विपक्षीय बैठक भी की थी, जिसमें सीमा रेखा पर ध्यान केंद्रित किया गया था. वो सितंबर में दुशांबे में फिर मिले. भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. पिछले हफ्ते विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने इस पर फिर जोर दिया था.
श्रृंगला ने कहा था कि हमने चीन को स्पष्ट कर दिया है कि हमारे संबंधों के विकास के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति आवश्यक है. भारत-चीन संबंधों का विकास ‘तीन पारस्परिक’- आपसी सम्मान, पारस्परिक संवेदनशीलता और पारस्परिक हित पर आधारित होना चाहिए. इस महीने की शुरुआत में वांग ने परोक्ष तौर पर अमेरिका की ओर इशारा करते हुए कहा था कि कुछ ताकतों ने चीन और भारत के बीच तनाव पैदा करने की हमेशा कोशिश की है. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन ने 15वीं दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता की थी.
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