कोलकाता (Kolkata) । भारत और चीन (India-China) के बीच पिछले तीन साल से रिश्ते (Relations) पहले जैसे नहीं हैं। एलएसी पर विस्तारवादी नीति की वजह से चीन कई बार भारत से करारा जवाब पा चुका है, लेकिन फिर भी समय-समय पर नापाक हरकतें करता रहता है। अब विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने चीन को संबंधों को लेकर करारा जवाब दिया है। विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों में मौजूदा गिरावट भारत की ओर से नहीं, बल्कि चीन की ओर से पैदा की गई है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि ताली दोनों हाथों से बजती है और किसी रिश्ते को चलाने के लिए दोतरफा प्रयास जरूरी होता है। मंत्री ने ‘नया भारत और विश्व’ विषय पर श्यामा प्रसाद व्याख्यान देने के बाद यह बात कही। जब उनसे पूछा गया कि क्या दो एशियाई दिग्गजों के बीच कामकाजी संबंध हो सकते हैं, तो उन्होंने कहा, “अंततः ताली बजाने के लिए दो हाथों की जरूरत होती है और चीन को भी व्यावहारिक रिश्ते में विश्वास होना चाहिए।” जयशंकर ने कहा कि अगर बेहतर कामकाजी संबंध बनाए रखना है तो चीन को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 1993 और 1996 में हुए समझौतों का पालन करना होगा।
जयशंकर ने बुधवार को भी कहा था कि सीमा पर स्थिति भारत और चीन के बीच संबंधों की स्थिति तय करेगी। जयशंकर ने एक परिचर्चा सत्र में कहा, ”सीमा पर स्थिति अब भी असामान्य है।” चीन के साथ भारत के संबंधों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि सीमा के प्रबंधन से जुड़ी व्यवस्था के उल्लंघन के कारण संबंध मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। जयशंकर ने कहा, ”हम मानते हैं कि वह (चीन) एक पड़ोसी है, एक बड़ा पड़ोसी देश है। आज वह बहुत प्रमुख अर्थव्यवस्था और बड़ी शक्ति बन गया है।” विदेश मंत्री ने कहा कि कोई भी रिश्ता दोनों तरफ से निभाया जाता है और एक-दूसरे के हितों का सम्मान करना होता है। उन्होंने कहा, ”और हमारे बीच हुए समझौतों का पालन किया जाना होता है और हमारे बीच बनी सहमति से मुकरना ही आज मुश्किल दौर की वजह है।”
2020 से खराब है भारत-चीन के रिश्ते
भारत और चीन के बीच एलएसी पर पिछले तीन सालों में कई बार टकराव की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। अप्रैल, 2020 से भारत व चीन के बीच टकराव बढ़ा था, जोकि अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। इस दौरान, गलवान में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भयंकर हिसंक घटना भी हुई, जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीन के भी कई सैनिकों की मौत हुई। हालांकि, चीन ने अब तक मारे गए सैनिकों की संख्या का खुलासा नहीं किया है। वहीं, कुछ महीनों बाद फिर से फिर से दोनों देश के सैनिक आमने-सामने आ गए थे। भारत ने चीन की किसी भी चाल से निपटने के लिए बॉर्डर पर बड़ी संख्या में हथियार भी इकट्ठा किए हुए हैं। सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों के बीच कई बार हाई लेवल की बैठक भी हो चुकी है।
एससीओ बैठक में शामिल होंगे चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग
वहीं, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगले सप्ताह भारत की मेजबानी में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के ऑनलाइन शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। शुक्रवार को एक आधिकारिक घोषणा में यह जानकारी दी गई। चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निमंत्रण पर राष्ट्रपति शी चार जुलाई को एससीओ के प्रमुखों की 23वीं परिषद बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से हिस्सा लेंगे। भारत की मेजबानी में होने वाले एससीओ शिखर सम्मेलन में शी के हिस्सा लेने के बारे में यह पहली आधिकारिक घोषणा है। भारत एससीओ का मौजूदा अध्यक्ष होने के नाते शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। एससीओ एक प्रभावशाली आर्थिक व सुरक्षा संगठन है, जो सबसे बड़े अंतरक्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठनों में से एक के रूप में उभरा है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved