वॉशिंगटन। यूक्रेन जंग (Ukraine war) को लेकर भारत के रुख पर अमेरिका का बड़ा बयान आया है। सोमवार को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद साफतौर पर स्वीकार किया कि भारत व रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। ये रिश्ते तब से हैं जब अमेरिका भारत का साझेदार नहीं था।
बाइडन प्रशासन के शीर्ष मंत्री की साफगोई से यूक्रेन जंग और अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों (international sanctions) के बावजूद रूस से तेल खरीदी को लेकर भारत के बारे में अमेरिकी रवैया स्पष्ट हो गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन तथा भारतीय(Indian) समकक्ष जयशंकर व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में यह अहम बयान दिया। ब्लिंकन ने कहा कि भारत के रूस से रिश्ते उस वक्त के हैं, जब अमेरिका भारत का साझेदार नहीं बना था, लेकिन अब समय बदल गया है। आज हम हमारी मर्जी से भारत के साझेदार बने हैं। व्यापार, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, सुरक्षा समेत तमाम क्षेत्रों हम सहयोगी हैं।
सभी देश पुतिन पर दबाव डालें
रूस-यूक्रेन जंग को लेकर अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने कहा कि भारत को इस बारे में अपने फैसले खुद करने होंगे कि वह इस चुनौती से कैसे निपटता है। हम, एक सामान्य प्रस्ताव के रूप में पुतिन द्वारा छेड़ी गई जंग के अंजाम, यूक्रेन के लोगों पर अत्याचारों को लेकर सभी सहयोगियों और साझेदारों के साथ परामर्श कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि सभी देश युद्ध समाप्त करने के लिए पुतिन पर दबाव डालें। रक्षा मंत्री ऑस्टिन ने कहा कि राष्ट्रपति बाइडन भारत के साथ मजबूत गठजोड़ और साझेदारी को महत्व देते हैं।
बाइडन-मोदी ने की वर्चुअल बैठक
सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच वर्चुअल शिखर बैठक भी हुई। इसमें दोनों नेताओं ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति और कीमतों, जंग का बाजार पर पड़ने वाले व्यापक प्रभाव को कम करने और इसे प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की।
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