नई दिल्ली। भारतीय शेयर मार्केट (Indian stock market) से भागने वाले विदेशी निवेशक (Foreign Investors) एक बार फिर लौट रहे हैं। मार्केट पर फिर फिदा हो रहे विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (Foreign portfolio investors.- FPI) ने पिछले तीन दिनों में 11,113 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इससे पहले लगभग दो महीने तक उन्होंने लगातार बिकवाली की। इस अवधि में 155,730 करोड़ रुपये भारतीय बाजार से निकाल लिए।
एफपीआई ने 25 नवंबर को 9,947 करोड़ रुपये और 26 नवंबर को 1,157 करोड़ रुपये का निवेश किया। दूसरी ओर, घरेलू संस्थागत निवेशकों ने पिछले तीन दिनों में 7,516 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। डीआईआई ने नवंबर में अब तक 30,042 करोड़ रुपये और इस साल अक्टूबर में 107,254 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
एक्सचेंज डेटा के अनुसार, अक्टूबर में एक्सचेंजों के माध्यम से 113,858 करोड़ रुपये की इक्विटी बेचने के बाद, एफपीआई ने 22 नवंबर तक 41,872 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची। इससे इस साल 1 अक्टूबर से अब तक कुल निकासी 155,730 करोड़ रुपये हो गई।
एक एनॉलिस्ट ने कहा, “हमें नहीं लगता कि एफपीआई बड़ी संख्या में वापस आ रहे हैं। दिसंबर के अंत और छुट्टियों के बाद जनवरी में बाजार में नए निवेश देखने को मिल सकते हैं।” उन्होंने कहा, “एफपीआई द्वारा अधिक बिकवाली हो सकती है क्योंकि उन्हें अपने निवेशकों से साल के अंत में निकासी का सामना करना पड़ सकता है।”
21 से उड़ान भर रहा सेंसेक्स
21 नवंबर से अब तक बेंचमार्क सेंसेक्स 3.98 फीसद या 3,079 अंक बढ़कर 80,234.08 पर पहुंच गया है। 22 नवंबर को जब सेंसेक्स 1,961 अंक या 2.54 फीसद बढ़कर 79,117.11 पर पहुंचा, तब एफपीआई ने सिर्फ 1,278 करोड़ रुपये निकाले। बुधवार को सेंसेक्स में 230 अंकों की तेजी आई।
इन तीन कारणों से भाग रहे थे FPI:
पिछले दो महीनों में एफपीआई द्वारा हाल ही में की गई भारी बिकवाली के पीछे मुख्य रूप से तीन कारक हैं। “पहला, ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ व्यापार। दूसरा, वित्त वर्ष 2025 की आय को लेकर चिंताएं। तीसरा, ‘ट्रंप ट्रेड।’ इन तीनों में से, ‘भारत बेचो, चीन खरीदो’ समाप्त हो गया है,” जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार के विजयकुमार ने कहा कि ट्रंप ट्रेड भी अपने अंतिम चरण में प्रतीत होता है, क्योंकि अमेरिका में मूल्यांकन उच्च स्तर पर पहुंच गया है।
कौन से स्टॉक खरीद रहे विदेशी निवेशक
उन्होंने कहा, “इसलिए, भारत में एफपीआई की बिकवाली जल्द ही कम होने की संभावना है। साथ ही, भारत में लार्ज कैप के मूल्यांकन उच्च स्तर से नीचे आ गए हैं। एफपीआई आईटी स्टॉक खरीद रहे हैं। दूसरी ओर एफआईआई की बिकवाली के बावजूद डीआईआई की खरीद के कारण बैंकिंग स्टॉक में मजबूती रही है, ।”
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