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    कन्टेन्मेंट एरिया से लेकर कोविड केयर सेंटरों में जबरिया भर्ती, सारे नेता खामोश

    May 27, 2021

    जनता परेशान… कहां हैं वार्ड आपदा प्रबंधन समितियां
    इंदौर।  प्रधानमंत्री (Prime Minister) ने मध्यप्रदेश की जनभागीदारी वाले मॉडल की सराहना क्या कर दी कि गली-मोहल्ले के नेताओं-कार्यकर्ताओं को इसमें शामिल कर लिया गया। शहर के सभी 85 वार्डों में आपदा प्रबंधन ( Disaster Management) समितियां तो गठित की ही, वहीं सत्तारुढ़ दल भाजपा ने भी अपने नेताओं-कार्यकर्ताओं की कोरोना संकट निवारण जैसी समितियां बना रखी है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रो में भी इस तरह की कमेटियां बनी, जिनकी लगातार बैठकें भी अफसरों ने ली। मगर बीते तीन-चार दिनों से अफसरों के तो दौरे नजर आ रहे हैं, मगर आपदा प्रबंधन के सारे नेता गायब और खामोश हैं।


    40 दिन से अधिक का समय इंदौर में लॉकडाउन (Lockdown)  को हो गया है। पहले मरीजोंके परिजन बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन के लिए दर-दर भटकते रहे और अब ब्लैक फंगस पीडि़तों के भी यही हाल हैं। कोरोनासंक्रमण घटने के साथ इसमें तो राहत मिली, मगर अब आर्थिक समस्याएं बढ़ गई है। दूसरी तरफ शासन के निर्देश पर प्रशासन कन्टेन्मेंट झोन (Containment Zone) घोषित करने से लेकर घरों में इलाज करवा रहे लोगों को जबरिया उठाकर कोविड केयर सेंटरों में भिजवा रहा है। कई स्थानों पर इसका विरोध भी शुरू हुआ और कई स्वस्थ लोगों को भी उठाकर सेंटरों में भिजवा दिया। जबकि पहले इस तरह के ही लोग शासन-प्रशासन से बेड, इंजेक्शन, ऑक्सीजन की गुहार लगा रहे थे, तब अफसरों से लेकर नेता मदद नहीं कर सके और जैसे-तेसे लोगों ने जुगाड़ कर अपने परिजनों का इलाज घरों में ही शुरू करवाया। अब मरीज घटने और कोविड केयर सेंटर (Covid Care Center)  खाली होने पर उन्हें भरने के लिए जबरिया मरीजों को उठाया जा रहा है। हालांकि निगम ने सफाई दी कि जिन घरों में आइसोलेशन की सुविधा नहीं है वहीं के मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है। जिनके पास बड़े घर और अलग से आइसोलेशन सुविधा है, उन्हें नहीं भिजवा रहे हैं। दूसरी तरफ कन्टेन्मेंट घोषित एरिया को पूरा सील कर दिया गया, जिसके चलते आवश्यक सेवाएं तक नहीं मिल रही और जो लोग नौकरी करने वाले हैं वे भी छुट्टी लेकर घर बैठने को मजबूर हैं। हालांकि इन क्षेत्रों में कलेेक्टर ने आवश्यक सेवाएं शुरू भी करवाई और अधिनस्थ अधिकारियों को इस बात के लिए फटकारा भी कि चारों तरफ कालोनियोंको सील क्यों कर दिया। बल्कि ड्रॉप गेट लगाना थे, ताकि टैंकर और अन्य आवश्यक सेवाओं की आवाजाही हो सके। सवाल यह है कि आपदा प्रबंधन समितियों के सारे बयान बहादुर नेता कहां हैं, जिन्होंने जोर-शोर से शुरुआत में तो अफसरों के साथ दौरे किए और अपने-अपने वार्ड क्षेत्र को कोरोना संक्रमण से मुक्त करवाते हुए जनता को भी पूरी मदद करने का भरोसा दिलाया। अब ऐसे सारे झांकीबाज नेता और कार्यकर्ता गायब हैं। यहां तक कि वैक्सीनेशन में ही लोगों को परेशानी हो रही है। हालांकि कुछ वार्डों में अवश्य दावेदार और कार्यकर्ता सक्रिय भी हैं।

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