बेटा-बेटी हुए कलियुगी, पड़ोसी की तरह दाह संस्कार में होंगे शामिल
इंदौर। पूरा शहर भगवान श्रीकृष्ण (Lord ShriKrishna) के जन्मदिन (Birthday) की खुशियां मना रहा था। वासुदेव ने कृष्ण (Krishna) की रक्षा के लिए यमुना पार कर ली, लेकिन एक बेटा पिता की मौत हो जाने के बावजूद उसके शरीर को हाथ लगाने को भी तैयार नहीं हुआ। आखिरी समय में भी बेटे ने पिता की अर्थी को कांधा देने के साथ-साथ छूने से भी मना कर दिया।
विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 2 के विधायक रमेश मेंदोला (Ramesh Mendola) ने बुजुर्ग लक्ष्मीप्रसाद शर्मा (Lakshmi Prasad Sharma) को सड़े हुए पैर के साथ वृद्धाश्रम में प्रवेश कराया था, जहां से इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लगातार दो महीने चले इलाज के दौरान न परिवार ने सुध ली और न ही देखरेख के लिए कोई सामने आया। आखिरकार अपनों के इंतजार में बुजुर्ग ने देर रात अंतिम सांस ली। देव पर्वत स्थित वृद्धाश्रम के यश पाराशर ने उक्त बुजुर्ग के परिवार से संपर्क कर दाह संस्कार करने की गुजारिश की तो परिवार और बेटों से जो जवाब मिला, वह आत्मा का झंझोड़ देने वाला है। परिवार ने पड़ोसियों की तरह दाह संस्कार में शामिल होने की हामी तो भरी, लेकिन पिता का कलियुगी बेटे और बेटी ने आखिरी समय में भी साथ छोड़ते हुए शव को हाथ लगाने से भी मना कर दिया।
दो महीने से चल रहा था इलाज
लक्ष्मीप्रसाद शर्मा नंदानगर स्थित कालोनी में लंबे समय से अकेले जीवन-यापन कर रहे थे। कोई देखरेख और परिवार न होने के कारण बीमार होने की स्थिति में उनका एक पैर सड़ गया था। बिलबिलाते हुए कीड़ों के साथ संस्था ने उन्हें अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया, जहां लगातार दो महीने भर्ती रहने के बाद आखिरकार वे जिंदगी की जंग तो हार गए, लेकिन परिवार की बेरुखी ने उनके आगे की गति को और मुश्किल कर दिया। बेटे और बेटी के साथ-साथ संस्था को सूचना मिली है कि लक्ष्मीप्रसाद शर्मा की पत्नी जूनी इंदौर में कहीं निवासरत है, लेकिन वह भी मृत पति के संस्कार में शामिल नहीं होना चाहती।
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