बर्लिन। जर्मनी में यह शक गहराता जा रहा है कि रूस(Russia), जर्मनी के चुनाव (General elections in Germany) को प्रभावित करने की कोशिश(Trying to influence Election Russia) में है। आरोप है कि रूस सरकार समर्थिक मीडिया घरानों की तरफ से हजारों सोशल मीडिया पोस्ट जर्मनी में सर्कुलेट किए गए हैं। उनमें एक यू-ट्यूब वीडियो में कोरोना वैक्सीन (Corona vaccine) के पीछे साजिश होने की बात कही गई। उस वीडियोज को दस लाख से ज्यादा लोगों ने देखा है। एक फेसबुक पोस्ट में जर्मनी(Germany) की एक धुर दक्षिणपंथी पार्टी के समर्थन में तर्क दिए गए। उसे भी हजारों लोगों ने देखा है। उसके अलावा ऐसे ट्विटर संदेश फैलाए गए हैं, जिनमें जर्मनी (Germany) के मुख्यधारा की पार्टियों के प्रमुख नेताओं के खिलाफ बातें कही गई हैं।
खबरों बताया गया है कि जर्मनी में सोशल मीडिया पर रशिया टुडे टीवी चैनल सबसे प्रमुख मीडिया स्रोत बन गया है। ये चैनल रूसी सरकार के धन से चलता है। इसका घोषित मकसद घटनाओं को पश्चिम के वैकल्पिक नजरिए से पेश करना है। जर्मनी में आम चुनाव के लिए मतदान 26 सितंबर को होगा।
आरोप है कि रशिया टुडे की जर्मन शाखा ने पिछले मार्च से ही कोरोना वैक्सीन को लेकर भय फैलाने वाली खबरें प्रसारित की हैं। साथ ही उसने धुर दक्षिणपंथी पार्टी- ऑल्टरनेटिव फॉर ड्यूशलैंड (एएफडी) के पक्ष में भी खबरें दिखाई हैं। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक जर्मन मार्शल फंड के एक शोध के मुताबिक रशिया टुडे के जर्मन क्लिप्स को सिर्फ फेसबुक पर दो करोड़ 27 लाख बार देखा गया है। जर्मन मार्शल फंड के सूचना प्रमुख ब्रेट शैफर ने कहा- ‘जर्मनी के लोगों को रूस जो दिखाना चाहता है, यह साफ है कि उसकी वहां भारी मांग है। यह साफ है कि वो सारा कंटेंट कहां से आ रहा है। ऐसा लगता है कि यह गुपचुप चलाया जा रहा सूचना अभियान है। इसमें रूसी मीडिया घराने बाकी सबको पीछे छोड़ रहे हैं।’ खबरों में बताया गया कि जैसे-जैसे जनमत सर्वेक्षणों में होड़ कांटे की होती दिखी है, रशिया टुडे की पहुंच भी बढ़ती गई है। जनमत सर्वेक्षणों के आंकड़ों के मुताबिक अभी होड़ में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीटी) सबसे आगे है। चांसलर अंगेला मैर्केल की क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक पार्टी (सीडीयू) और क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) का गठबंधन शुरुआत में आगे रहने के बाद अब पिछड़ गया है। ग्रीन पार्टी तीसरे नंबर पर चल रही है। एक अन्य रिपोर्ट में यह बताया गया है कि रूस के सरकार समर्थिक चैनलों ने षड्यंत्र के सिद्धांतों और चरमपंथी गुटों के पक्ष में माहौल बनाने की रणनीति अपनाई है। इस टिप्पणी के मुताबिक उन्होंने अमेरिकी मीडिया घरानों से सीखे सबक में महारत हासिल कर ली है। अमेरिकी मीडिया पर दशकों से दूसरे देशों के चुनावी माहौल को अपने ढंग से प्रभावित करने के आरोप रहे हैं। ऑनलाइन उग्रवाद पर नजर रखने वाले थिंक टैंक- इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रेटेजिक डॉयलॉग में सीनियर फेलॉ अनेली एहोनन ने वेबसाइट पॉलिटिको से कहा- ‘रूसी मीडिया घरानों की पहुंच अब पहले की तुलना में ज्यादा समूहों तक बन गई है। उन्होंने जर्मनी में मौजूद वैक्सीन विरोधी भावनाओं का लाभ उठाया है। उन्होंने जर्मनी में मौजूद आंतरिक मतभेदों पर अपनी मुहिम को केंद्रित कर सरकार के खिलाफ अविश्वास का भाव पैदा करने की कोशिश की है।’