इंदौर। आज पहली बार किसी जज की कार्यप्रणाली के विरोध में शहर के महिला संगठन ज्ञापन देने पहुंचेंगे। इनमें हिन्दू संगठनों से जुड़ी महिला पदाधिकारी और अभिभाषक महिलाएं भी शामिल हैं। दोपहर में सभी संभागायुक्त कार्यालय पर इकट्ठा होकर राष्ट्रपति और सीजेआई के नाम ज्ञापन देंगी। संस्था दामिनी के बैनर तले दिए जा रहे इस ज्ञापन में 25 जुलाई को एक दुष्कर्म पीडि़ता के बयान के दौरान न्यायाधीश द्वारा आरोपी की ओर से अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाते हुए पीडि़ता का अभद्र भाषा में प्रतिपरीक्षण किया गया, जिससे स्त्री की अस्मिता को ठेस पहुंची। इसको लेकर महिला ने कई तरह के आरोप जज पर लगाए थे। महिला ने आरोपी अशरफ और अन्य के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया था, जिसकी सुनवाई की जा रही थी। इस दिन न्यायाधीश ने आरोपी के अभिभाषक को प्रतिपरीक्षण से रोक दिया गया था और कहा कि इस प्रकार की लड़कियों का प्रतिपरीक्षण तो मैं स्वयं करता हूं।
उन्होंने ऐसा कहकर न्यायालय के दरवाजे खुलवा दिए। फरियादी के मानसिक रूप से प्रताडि़त किए जाने और उनके द्वारा इच्छामृत्यु की मांग किए जाने के बाद आज संस्था दामिनी द्वारा दोपहर डेढ़ बजे कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और सीजेआई के नाम ज्ञापन दिया जा रहा है। संस्था की मालासिंह ठाकुर ने बताया कि पहली बार किसी जज ने इस प्रकार नारी की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया है, जबकि इस प्रकार के मामले में पीडि़ता के बयान बंद कमरे में लिया जाते हैं और इस बात का ध्यान भी रखा जाता है कि उसकी अस्मिता के साथ कोई खिलवाड़ न हो। न्यायप्रिय मां अहिल्या की नगरी में उक्त फरियादी महिला को बाजारू कहा गया, जिससे वह प्रताडि़त भी हुई। इस प्रकार का व्यवहार उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रतिपादित न्याय सिद्धांत के विपरीत किया गया आचरण तो है ही, साथ ही यह सभ्य समाज पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। राष्ट्रपति के नाम दिए जाने वाले ज्ञापन में मांग की जाएगी कि विषय की गंभीरता को देखते हुए न्यायाधीश देवेंद्र प्रसाद मिश्रा का निलंबन एवं समस्त जिम्मेदारों के विरूद्ध कार्रवाई की जाए, ताकि इस प्रकार की घटना की पुनरावृत्ति भविष्य में न हो।
ये मांग हैं संस्था की
संस्था दामिनी द्वारा दिए जाने वाले ज्ञापन में संस्था द्वारा निम्न मांगें रखी गई हैं…
यौन उत्पीडऩ एवं दुष्कर्म के केस में पृथक न्यायालय स्थापित हो, जिसमें महिला जज के सामने सुनवाई हो।
इस प्रकार के केस की सुनवाई अत्यधिक संवेदनशीलता के साथ हो।
इस प्रकार के केस इन कैमरा प्रोसेडिंग्स ही चले।
इस तरह का अपमानजनक व्यवहार किसी महिला के साथ न हो।
कई पीडि़ताएं इसी कारण न्याय मिलने से वंचित रह जाती हैं कि उनकी इज्जत उछाली जाएगी, इसलिए वे रिपोर्ट नहीं करती है।
ऐसे न्यायाधीश को हटाकर महिलाओं का सम्मान पुुनस्र्थापित किया जाए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved