नई दिल्ली: आजकल सभी वीडियो कॉल (video call) से लेकर आपसी बातचीत के लिए यूजर्स WhatsApp का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के इतिहास में पहली बार जज ने किसी मामले की सुनवाई वॉट्सऐप के जरिए की है और वह भी रविवार की छुट्टी पर हुआ है. जस्टिस जी आर स्वामीनाथन रविवार को एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए नागरकोइल गये थे. उन्होंने वहीं से इस मामले की सुनवाई की, जिसमें श्री अभीष्ट वरदराजा स्वामी मंदिर के वंशानुगत ट्रस्टी पी आर श्रीनिवासन ने दलील दी थी कि अगर सोमवार को उनके गांव में प्रस्तावित रथ महोत्सव आयोजित नहीं किया गया तो गांव को ‘दैवीय प्रकोप’ का सामना करना पड़ेगा.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश की शुरुआत में कहा, ‘रिट याचिकाकर्ता की इस उग्र प्रार्थना की वजह से मुझे नागरकोइल से इमरजेंसी सुनवाई (emergency hearing) करनी पड़ी है और वॉट्सऐप के जरिए मामले की सुनवाई की जा रही है.’ इस सत्र में जस्टिस नागरकोइल (Justice Nagercoil) से मामले की सुनवाई कर रहे थे, याचिकाकर्ता के वकील वी राघवाचारी एक स्थान पर थे और सॉलिसिटर जनरल आर षणमुगसुंदरम (Solicitor General R Shanmugsundaram) शहर में दूसरी जगह से इस सुनवाई में हिस्सा ले रहे थे. यह विषय धर्मपुरी जिले के एक मंदिर से जुड़ा हुआ है. जस्टिस ने कहा कि हिंदू धार्मिक और परमार्थ विभाग से संबद्ध निरीक्षक को मंदिर प्रशासन और ट्रस्टी को रथयात्रा रोकने का आदेश जारी करने का अधिकार नहीं है. उन्होंने इस आदेश को खारिज कर दिया.
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल ने जज से कहा कि सरकार को महोत्सव के आयोजन से कोई दिक्कत नहीं है. सरकार की एकमात्र चिंता आम जनता की सुरक्षा की है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होने की वजह से तंजौर जिले में हाल में ऐसी ही एक रथयात्रा में बड़ा हादसा हो गया था. जज ने मंदिर के अधिकारियों को निर्देश दिया कि मंदिर के महोत्सवों के आयोजन के दौरान सरकार की ओर से निर्धारित नियम एवं शर्तों का कड़ाई से पालन किया जाए.
साथ ही सरकारी विद्युत वितरक कंपनी टैनगेडको रथयात्रा शुरू होने से लेकर इसके गंतव्य तक पहुंचने तक कुछ घंटे के लिए क्षेत्र की बिजली काट देगी. तंजौर के पास पिछले महीने एक मंदिर का रथ शोभायात्रा के दौरान हाईटेंशन बिजली के तार के संपर्क में आ गया था. इस हादसे में 11 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और 17 अन्य घायल हो गये थे. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तकनीकी का इस्तेमाल कर इस अनोखी सुनवाई को पूरा किया है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved