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    देश में पहली बार Uttarakhand में शुरू हुई ‘सचल न्यायालयों’ की व्यवस्था

  • August 16, 2021

    – मुख्य न्यायाधीश ने सचल न्यायालय जिलों के लिए किए रवाना

    नैनीताल। उत्तराखंड (Uttarakhand) में अब न्यायालयी मामलों के लिए होने वाली गवाहों-साक्ष्यों को गवाही उनके गांव, ब्लॉक में भी हो सकेगी। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र ध्वज फहराने के उपरांत उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court Justice) के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राघवेंद्र सिंह चौहान (Chief Justice Raghvendra Singh Chouhan) उच्च न्यायालय परिसर से पांच ‘सचल न्यायालय’ (‘movable courts’) वाहनों को अन्य न्यायाधीशों-न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा, न्यायमूर्ति एनएस धानिक, न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे, न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा के साथ हरी झंडी दिखाकर जिलों के लिए रवाना किया। इस अवसर पर मीमांशा भट्ट व पूर्ति असवाल आदि बच्चों ने शिव आराधना, देश भक्ति गीत एवं राज्य की लोक संस्कृति के कार्यक्रमों की सुंदर प्रस्तुति भी दी गई।


    इस अवसर पर उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल धनंजय चतुर्वेदी ने बताया कि इंटरनेट, कम्प्यूटर, वेब कैमरा व सीसीटीवी सहित सभी अत्याधुनिक व आवश्यक सुविधाओं से सुसज्जित यह ‘सचल मोबाइल’ आवेदन करने वाले गवाहों के पास तक पहुंचेगे और वहीं से गवाह वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में अपनी गवाही दे सकेंगे। ऐसी सुविधा उपलब्ध कराने वाला उत्तराखंड देश में पहला राज्य होगा।

    उन्होंने दोहराया कि मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चौहान ने तेलंगाना में कार्यरत रहते हुए कोरोना के लॉक डाउन के दौरान वादों की सुनवाई के लिए अधिवक्ताओं व वादकारियों हेतु ‘वर्चुअल मोबाइल न्यायालय’ की सुविधा शुरू की थी, पर जिस तरह की सुविधा उत्तराखंड गवाहों के लिए देने जा रहा है, वैसा देश के किसी भी राज्य में नहीं हो रहा है। इस सुविधा का लाभ पहले चरण में राज्य सरकार से मिली पांच मोबाइल वैन के जरिए प्रदेश के पांच दूरस्थ पर्वतीय जनपदों-चंपावत, पिथौरागढ़, टिहरी, चमोली व उत्तरकाशी के लोगों को मिलेगा।

    इनके जरिए किसी कारण न्यायालय न आ पाने वाले पुलिस के अधिकारी, चिकित्सक आदि अन्वेषण साक्ष्यों के साथ ही महिलाओं, बच्चों एवं शारीरिक रूप से अक्षम एवं न्यायालय आने में किसी तरह के खतरे में आने वाले लोग स्थानीय पराविधिक स्वयं सेवी-पीएलवी, सम्मन तामील कराने वाले राजस्व या पुलिस कर्मी, ग्राम प्रधान या ग्राम विकास अधिकारी आदि के माध्यम से लिखित आवेदन कर अपने स्थान से ही न्यायालय में अपने साक्ष्य उपलब्ध करा सकेंगे और गवाही दे सकेंगे।

    इस योजना के प्रभारी उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार-कम्प्यूटर अंबिका पंत ने उम्मीद जताई कि इस सुविधा से साक्ष्यों-गवाहों को तो लाभ मिलेगा ही, उन्हें न्यायालय आने में समय बर्बाद नहीं करना पड़ेगा, साथ ही अदालतों में भी नियत दिन पर गवाही के साथ मामले में कार्रवाई हो सकेगी और न्यायालयों पर वादों का दबाव कम होगा। इस अवसर पर महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अवतार सिंह रावत सहित अनेक गणमान्यजन मौजूद रहे। संचालन रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल अनिल भट्ट ने किया। (एजेंसी, हि.स.)

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