नई दिल्ली। देश की आबादी में पहली बार पुरुषों की आबादी की तुलना में महिलाओं की आबादी ज्यादा हो गई है। कभी मिसिंग वूमन (Missing Women) का तोहमत झेलने वाले देश के लिए ये बड़ी खुशखबरी है। यही नहीं, देश में प्रजनन दर में भी कमी आई है। नेशनल फैमिली एंड हेल्थ सर्वे (National Family and Health Survey) के अनुसार, देश में अब 1,000 पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आबादी 1,020 हो गई है।
ऐसे बढ़ी महिलाओं की आबादी
नोबेल प्राइज विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने 1990 में एक लेख में भारत में महिलाओं की कम आबादी के लिए ‘मिसिंग वूमन’ (Missing Women) शब्द का इस्तेमाल किया किया था। लेकिन धीरे-धीरे भारत में चीजें बदली हैं और अब देश में महिलाओं की आबादी पुरुषों से ज्यादा हो गई है। 1990 के दौरान भारत में प्रति हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं का अनुपात 927 था। 2005-06 में यह आंकड़ा 1000-1000 तक आ गया। हालांकि, 2015-16 में यह घटकर प्रति हजार पुरुषों की तुलना में 991 पहुंच गया था लेकिन इस बार ये आंकड़ा 1000-1,020 तक पहुंच गया है।
गांव में बढ़ा सेक्स रेशियो
NFHS-5 के आंकड़ों में ये भी निकलकर सामने आया है कि सेक्स रेशियो में सुधार शहरों की तुलना में गांवों में ज्यादा बेहतर हुआ है। गांवों में हर 1,000 पुरुषों पर 1,037 महिलाएं हैं, जबकि शहरों में 985 महिलाएं हैं। NFHS-4 में भी यही बात निकलकर सामने आई थी। उस सर्वे के हिसाब से गांवों में प्रति 1,000 पुरुषों पर 1,009 महिलाएं थीं और शहरों में ये आंकड़ा 956 का था।
23 राज्यों में 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1000 से ज्यादा
देश के 23 राज्य ऐसे हैं जहां प्रति 1000 पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 1,000 से ज्यादा है। उत्तर प्रदेश में प्रति हजार पुरुषों पर 1017, बिहार में 1090, दिल्ली में 913, मध्य प्रदेश में 970, राजस्थान में 1009, छत्तीसगढ़ में 1015, महाराष्ट्र में 966, पंजाब में 938, हरियाणा में 926, झारखंड में 1050 महिलाएं हैं।
आजादी के बाद से बिगड़ रहा था सेक्स रेशियो
1901 में सेक्स रेशियो प्रति हजार पुरुषों पर 972 महिलाओं का था। लेकिन आजादी के बाद ये संख्या कम होती गई। 1951 में ये आंकड़ा घटकर एक हजार पुरुषों पर 946 महिलाएं थीं। 1971 में ये और कम होकर 930 पर आ गया। 2011 की जनगणना के मुताबिक, ये आंकड़ा थोड़ा सुधरा और प्रति हजार पुरुषों पर महिलाओं की आबादी 940 पर पहुंच गई।
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