हरिद्वार: उत्तराखंड में युवा दंपति ने बड़ी मिसाल पेश की है. हरिद्वार के ज्वालापुर स्थित पुरुषोत्तम नगर निवासी 30 वर्षीय राममेहर और उनकी पत्नी नैंसी ने मेडिकल शिक्षा के लिए अपनी 2.5 दिन की बच्ची के शव को दान दे दिया. दंपत्ति ने दून मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग को अपनी बच्ची का शव दान दिया है. डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक नैंसी को लेबर पेन की वजह से दून अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां रविवार (8 दिसंबर) दोपहर करीब तीन बजे सिजेरियन डिलीवरी के बाद उन्होंने बच्ची को जन्म दिया, लेकिन दो दिन बाद ही उसकी मौत हो गई.
दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनुराग अग्रवाल के मुताबिक बच्ची को हार्ट से रिलेटेड प्रॉब्लम थी, जिसकी वजह से उसे निक्कू वार्ड में भर्ती कराया गया था, लेकिन मंगलवार 10 दिसंबर को उसकी मौत हो गई.डॉक्टर ने बताया कि राममेहर ने बच्ची की मौत की जानकारी अपने पारिवारिक डॉक्टर जितेंद्र सैनी को दी. ऐसे में सैनी ने उन्हें बच्ची के शरीर को दान करने की राय दी. पत्नी भी बच्ची के देहदान को तैयार हो गई. इसके बाद दंपति ने दधीचि देहदान समिति के पदाधिकारियों से संपर्क किया और बच्ची का शव दान दे दिया.
बच्ची का देहदान समिति के पदाधिकारियों की तरफ से बच्ची का नाम सरस्वती रखा गया.एनाटॉमी विभाग के डॉक्टर राजेश मौर्य ने कहा, ”सरस्वती ज्ञान की देवी हैं और यह बच्ची भी उनके माध्यम से छात्रों को शिशु की शारीरिक रचना सीखने में मदद करेगी.” इसके अलावा देश में इतनी कम उम्र में देहदान का यह पहला मामला बताया जा रहा है. बच्ची के अंगों को दून मेडिकल कॉलेज के म्यूजियम में रखा जाएगा.
बच्ची का शव दान करने पर मां ने कहा,” इससे पहले कि मैं अपनी बेटी को ठीक से महसूस कर पाती, मैंने उसे खो दिया. मैं उसका शरीर दान करके उसे अमर बना रही हूं. वह मानव जाति के लिए एक बड़ा उद्देश्य पूरा करेगी जो हम नहीं कर सके.” उन्होंने बताया कि शुरुआत में, हम झिझक रहे थे लेकिन फिर, मैंने और मेरी पत्नी ने इसके साथ आगे बढ़ने का फैसला किया. हरिद्वार जिले के पुरुषोत्तम नगर गांव के मूल निवासी राममेहर और नैंसी की चार साल पहले शादी हुई थी. ये उनका दूसरा बच्चा था.
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