जगह नहीं होने के कारण स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लिया निर्णय, कांग्रेस ने ली आपत्ति, मतगणना हॉल में मचेगी भीड़
इंदौर। 17 जुलाई को होने वाली नगर निगम चुनाव (municipal elections) की मतगणना (counting of votes) में इस बार एजेंट ज्यादा होने के कारण हॉल में भीड़ की स्थिति निर्मित होने वाली है। कांग्रेस और भाजपा ने कल स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में इस ओर प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया। बाद में तय हुआ कि निर्वाचन आयोग के नियमानुसार पहली पंक्ति में राष्ट्रीयकृत दल के प्रत्याशी और एजेंट बैठेंगे, वहीं दूसरी पंक्ति में राज्य में मान्यता प्राप्त दलों के एजेंट और निर्दलीय प्रत्याशियों के एजेंटों को बिठाया जाएगा। हालांकि फिर भी जगह नहीं होने के कारण हॉल में विवाद की स्थिति बन सकती है।
पहली बार मतगणना के दौरान यह व्यवस्था की गई है। इंदौर में 19 महापौर के प्रत्याशी हैं तो पार्षद के 341 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। विधानसभा स्तर पर मतगणना होगी और इसके लिए 6 हॉल निर्धारित किए गए हैं। कुल 105 टेबलें लगाई जाना हंै, जिसमें 97 टेबलें ईवीएम से मतगणना के लिए तो बाकी की टेबलें डाक मतपत्रों की गिनती के लिए रहेंगी। कल कलेक्टर कार्यालय में हुई स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में कांग्रेस की ओर से अपर कलेक्टर अभय बेड़ेकर से कहा गया कि इतनी बड़ी संख्या में मतगणना एजेंट नेहरू स्टेडियम पहुंचेंगे और अंदर हॉल में बैठेंगे। ऐसे में बैठने के लिए मारामारी मचेगी और जगह कम पड़ेगी। इसको लेकर प्रशासन द्वारा क्या व्यवस्था की गई है। इस पर अधिकारियों ने कहा था कि बाहर भी स्क्रीन लगाई जाएगी, जहां निर्दलीय प्रत्याशियों के एजेंट बैठ सकेंगे। इस पर कांग्रेस और भाजपा सहित दूसरे दलों के प्रतिनिधियों ने आपत्ति ली और कहा कि सभी को अंदर बिठाया जाए। अंत में तय हुआ कि प्रत्येक टेबल पर राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर बैठक व्यवस्था की जाएगी। इसमें सबसे पहले मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय दल जैसे कि कांगे्रस और भाजपा के मतगणना एजेंट बैठेंगे। इसके बाद मान्यता प्राप्त राज्यीय दलों के मतगणना एजेंट बैठेंगे, इनमें वे अभ्यर्थी शामिल होंगे, जिन्हें उस निर्वाचन क्षेत्र में उनके आरक्षित चिन्ह का प्रयोग करने की अनुमति दी गई है। इसक बाद रजिस्ट्रीकृत अमान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों के साथ-साथ निर्दलीय प्रत्याशियों के मतगणना एजेंट बैठेंगे। जिन क्षेत्रों में ज्यादा वार्ड हैं, वहां भीड़ मचेगी, यह तय है। शहरी क्षेत्र में विधानसभा 3 तो ग्रामीण क्षेत्र में राऊ विधानसभा में सबसे कम वार्ड हैं। यहां जरूर राहत मिल सकती है। इसके साथ ही पहले 20 बूथ या उससे ज्यादा होने पर दो टेबलें लगाना थीं, लेकिन अब 30 बूथ के बाद दो टेबलें लगेंगी। राजनीतिक दलों का कहना था कि इससे राउंड बढेंगे और मतगणना में देरी होगी, जिससे परिणाम लेट आएंगे।
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