सिंचाई…14 लाख मोटर पंप धरती का सीना चीर दे रहे फसलों को पानी
इंदौर, कमलेश्वर सिंह सिसोदिया। अक्टूबर से जनवरी तक रबी सीजन की सिंचाई की जाती है। इस दौरान प्रदेश में बिजली की खपत भी सर्वाधिक स्तर पर रहती है। मालवा- निमाड़ में तकरीबंद 14 लाख मोटर पंपों के माध्यम से फसलों को पानी दिया जा रहा है। अपनी पूरी क्षमता के साथ मोटर पंप चलने से बिजली की खपत ने नया रिकॉर्ड बना लिया है। पिछले वर्ष से 500 मेगावाट ज्यादा इस बार 7000 मेगावाट बिजली खपत का आंकड़ा पार हो रहा है।
इंदौर बिजली कंपनी के अंतर्गत मालवा-निमाड़ के उज्जैन-इंदौर संभाग के 15 जिलों में बिजली आपूर्ति की जा रही है। यहां पर बिजली कंपनी के पास तकरीबन 13 लाख 25 हजार मोटर पंप के स्थायी कनेक्शन हैं, वहीं 75 हजार मोटर पंप के अस्थायी कनेक्शन इस वर्ष दिए जा रहे हैं। इस समय सभी 14 लाख मोटर पंप अपनी पूरी क्षमता के साथ धरती की गहराई से पानी सिंचाई के लिए खेतों में पहुंचा रहे हैं, जिसके कारण बिजली की सर्वाधिक आवश्यकता लग रही है। बीते एक सप्ताह से अधिकतम बिजली मांग 7 हजार मेगावाट के पार रही। शनिवार को मांग 7100 मेगावाट दर्ज हुई थी। रविवार को बिजली की मांग इस आंकड़े से भी कुछ ज्यादा दर्ज हुई हैं। मध्यप्रदेश पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के प्रबंध निदेशक अमित तोमर ने बताया कि कंपनी क्षेत्र में करीब चौदह लाख कृषि पंप चलायमान स्थिति में हैं। इससे बिजली की मांग में सर्वोच्च स्थिति निर्मित हुई है। कंपनी का अनुमान भी सात हजार मेगावाट के पहुंचने का था, जो एक सप्ताह से दर्ज हो रही है। बिजली कंपनी के अनुसार सिंचाई के लिए सभी 15 जिलों में दैनिक दस घंटे आपूर्ति है, जबकि शेष उपभोक्ताओं को घरेलू, गैर घरेलू, औद्योगिक आदि श्रेणी के लिए चौबीस घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है।
11 करोड़ 41 लाख यूनिट का वितरण
छले चौबीस घंटों के दौरान 11 करोड़ 41 लाख यूनिट आपूर्ति हुई है। इसमें सबसे ज्यादा बिजली आपूर्ति इंदौर और धार जिले में डेढ़ करोड़ यूनिट, इसके बाद उज्जैन जिले में 1.37 करोड़ यूनिट, खरगोन जिले में 1.11 करोड़ यूनिट, देवास जिले में 1.10 करोड़ यूनिट बिजली आपूर्ति हुई। शेष जिलों में 30 लाख यूनिट से 85 लाख यूनिट की एक दिन में आपूर्ति हुई।
पिछले समय कब कितनी मांग
इसी वर्ष पिछले माह बिजली की अधिकतम मांग 6950 मेगावाट दर्ज हुई थी। वर्ष 2022 की रबी सीजन में मांग करीब 6500 मेगावाट तक पहुंची थी। इसके पहले के वर्ष में 6100 मेगावाट, 5800 मेगावाट भी अधिकतम मांग रही थी।
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