नई दिल्ली। दिल्ली में चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के सेवानिवृत्त होने की तारीख भी करीब आ रही है। दिल्ली में मतदान और नतीजों के आने के कुछ दिन बाद ही सीईसी अपने पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में, राजीव कुमार के बाद पहली बार नए मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति बदले नियमों के तहत होगी। पहले मुख्य चुनाव आयुक्त के पैनल में भारत के मुख्य न्यायाधीश भी होते थे। मगर नए कानून में सीजेआई को पैनल से बाहर रखा गया है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की नजर अब इसी नए कानून पर होगी। इस कानून की वैधता को चुनौती दी गई है।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, जो दिसंबर 2023 में लागू हुआ, का पहला उपयोग मार्च 2024 में हुआ था, जब ज्ञानेश कुमार और एस एस संधू को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति अरुण गोयल के इस्तीफे और अनुप चंद्र पांडे के सेवानिवृत्त होने के बाद हुई थी।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार 18 फरवरी को 65 वर्ष की आयु पूरी करने के साथ ही पद से सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इसके बाद, नए कानून के तहत पहली बार मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की जाएगी। नए कानून के लागू होने से पहले, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा सरकार की सिफारिश पर की जाती थी। परंपरा के अनुसार, सबसे वरिष्ठ चुनाव आयुक्त को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर पदोन्नत कर दिया जाता था। लेकिन इस बार प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली समिति नए चुनाव आयुक्त पर फैसला करेगी।
ज्ञानेश कुमार और संधू में से किसी को चुना जाएगा। ज्ञानेश का कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक है, जब वे 65 वर्ष के हो जाएंगे। कानून के अनुसार, कानून मंत्री की अध्यक्षता वाली एक खोज समिति जिसमें दो केंद्रीय सचिव शामिल होंगे, चयन समिति के लिए पांच नामों का एक पैनल तैयार करेगी। चयन समिति, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करेंगे। इसमें प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होंगे, राष्ट्रपति को मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिए एक नाम की सिफारिश करेगी।
कानून की धारा छह के अनुसार, चयन समिति के पास उन लोगों पर भी विचार करने का अधिकार है, जिन्हें कानून मंत्री के नेतृत्व वाली खोज समिति द्वारा शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया है। सीईसी और चुनाव आयुक्तों पर 1991 का कानून उनके वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित था, लेकिन नियुक्ति की विधि से संबंधित नहीं था।
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