नई दिल्ली: हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर नोएडा से दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे. इन्हें दलित प्रेरणा स्थल में रोका गया है. पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ लंबी बातचीत के बाद किसानों ने तय किया है कि वो फिलहाल प्रेरणा स्थल के अंदर अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे. किसानों के इस कदम के बाद दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर लगाए गए बैरिकेड्स हटाए गए हैं.
भारतीय किसान यूनियन के नेता चौधरी बी. सी. प्रधान का बड़ा बयान आया है. उनका कहना है कि प्रशासन से बातचीत के बाद फैसला लिया गया है कि वो लोग प्रेरणा स्थल के अंदर अपना प्रदर्शन जारी रखेंगे, जब तक कि उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं. अगर मांगें जल्दी पूरी नहीं की जाएंगी तो एक बार फिर दिल्ली कूच करेंगे. इस बार आर-पार की लड़ाई है.
किसान नेताओं को जिला प्रशासन, नोएडा प्राधिकरण और यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगें यूपी के मुख्य सचिव तक पहुंचाई जा रही हैं. तबतक किसान सड़क से हटकर दलित प्रेरणा स्थल पर चले जाएं. किसान नेताओं ने ये बात मान ली है. वो दलित प्रेरणा स्थल के अंदर चले गए हैं.
ग्रेटर नोएडा, नोएडा यमुना प्राधिकरण ने एक हफ्ते का समय मांगा है. एक हफ्ते के अंदर किसानों की समस्या का समाधान किया जाएगा. किसानों से बातचीत के दौरान यमुना ऑथोरिटी के ओएसडी शैलेंद्र सिंह, नोएडा अथॉरिटी के एसीईओ महेंद्र प्रसाद और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे. प्राधिकरण की अधिकारियों की बात मानकर किसान एक हफ्ते तक दलित प्रेरणा स्थल में इंतजार करेंगे. अगर एक हफ्ते में बात नहीं मानी गई तो सभी किसान दिल्ली कूच करेंगे.
इससे पहले किसानों के आंदोलन को देखते हुए सुरक्षा के लिहाज से 5 हजार जवानों को तैनात किया गया था. 1 हजार PAC के जवान तैनात किए. वाटर कैनन, वज्र वाहन सभी, टीयर गैस जो भी स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए उपकरण चाहिए होते हैं, उनको लगाया गया. नोएडा पुलिस के एडिशनल कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर शिव हरी ने कहा था, लोग ट्रैफिक में ना फंसे, इसके लिए रविवार को ही वैकल्पिक मार्गों के साथ डायवर्सन रुट और एडवाइजरी जारी कर दी गई थी.
दरअसल, कुछ किसान संगठनों का कहना था कि वो महामाया फ्लाईओवर से होते हुए दिल्ली जाएंगे और पार्लियामेंट का घेराव करेंगे. किसानों का कहना है कि उनकी मांगे नहीं मानी गई काफी समय से वह अलग-अलग अथॉरिटीज पर धरना दे रहे थे. रविवार को भी कई घंटे की बातचीत असफल रही उसके बाद किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला किया. किसानों की कुल पांच बड़ी मांगे हैं, जिनमें से बढ़ा हुआ मुआवजा साथ ही अधिकृत की गई जमीन में से 10% विकसित जमीन देने की प्रमुख मांगें हैं.
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