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कब तक मूर्ख बनते रहेंगे इंदौर के क्रिकेटप्रेमी टिकटों के इस गोरखधंधे में

September 24, 2022

  • टॉक ऑफ द टाउन… एमपीसीए की मनमानी और अव्यवस्था एक बार फिर उजागर… भारत-साउथ अफ्रीका मैच के ऑनलाइन टिकट बेचने के ढोल की पोल खुली…

इंदौर, राजेश ज्वेल। क्रिकेटप्रेमी तो देशभर में हैं, मगर इंदौरियों की इस मामले में भी कोई जोड़ नहीं है। जब भी भारत मैच में पाकिस्तान को परास्त करता है शहरवासी राजबाड़ा की ओर जश्न मनाने दौड़ पड़ते हैं। इतना ही नहीं, क्रिकेट मैच के दौरान भी टिकटों की जो मारामारी इंदौर में नजर आती है वैसा जुनून देश के किसी अन्य शहर में नजर नहीं आता, लेकिन एमपीसीए की मनमानी और अव्यवस्थाएं मैच-दर-मैच नहीं सुधरतीं, जिसका ताजा उदाहरण भारत-साउथ अफ्रीका मैच का 4 अक्टूबर को होने वाला टी-20 मुकाबला है, जिसके ऑनलाइन टिकट चंद सेकंड में ही बेचना बता दिए और सुबह 5 बजे से मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर पर ऑनलाइन टिकट बुक कराने बैठे हजारों क्रिकेटप्रेमी एक बार फिर ठगी का शिकार हुए। पूरे शहर में चर्चा इस बात की है कि आखिर कब तक इंदौर के क्रिकेटप्रेमी इस तरह मूर्ख बनते रहेंगे।

इस मैच के टिकट बुक करने का इंतजार क्रिकेटप्रेमी पिछले कई दिनों से कर रहे थे और सुबह 6 बजे से साइट खोलना थी। एमपीसीए ने टिकटों की दरें तय करते हुए इनसाइडर डॉट इन वेबसाइट के जरिए ऑनलाइन टिकट बेचने का दावा किया और 10-15 सेकंड में ही सारे टिकट बिकना बता दिए गए। क्रिकेटप्रेमियों को चंद टिकट ही हाथ लगे और हजारों एक बार फिर मूर्ख बन गए। होलकर स्टेडियम की क्षमता 27 हजार की है, मगर दिखावे के लिए कुछ टिकट ही ऑनलाइन एमपीसीए बिकवाता है और शेष टिकट पीछे से रसूखदारों के पास पहुंच जाते हैं। यह पहला मौका नहीं है, हर मैच में यही कहानी दोहराई जाती है। पूरे शहर में क्रिकेट मैच का बुखार है और हर ठीये पर यही चर्चा है कि एमपीसीए ऑनलाइन टिकटों को बिकवाने में गड़बड़ी करता है। पूर्व में भी इस तरह के आरोप लगे, मगर आज तक एमपीसीए प्रामाणिक तथ्य मीडिया और जनता के सामने नहीं रख सका। हालांकि यह बात भी सही है कि दर्शक क्षमता के अनुरूप ही टिकट उपलब्ध कराए जा सकते हैं, मगर कम से कम एमपीसीए क्रिकेटप्रेमियों के साथ पारदर्शिता दिखाए और यह स्पष्ट बताए कि कितने टिकट ऑनलाइन उपलब्ध हैं। बाकी टिकट पीछे से नेता, अफसर, रसूखदारों को उपलब्ध कराना पड़ते हैं। ढाई साल बाद इंदौर में क्रिकेट मैच हो रहा है, जिसके चलते क्रिकेटप्रेमियों में उत्साह भी अधिक है और वैसे भी कोरोना के बाद अब हर आयोजनों में भीड़़ उमड़ रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच को लेकर भी उत्साह कम नहीं है।


7 साल बाद भी क्राइम ब्रांच नहीं कर पाई घोटाले की जांच
अग्निबाण ने पूर्व के मैचों के दौरान हुई क्रिकेट प्रेमियों के साथ ठगी को बेबाकी से उजागर किया था और सात साल पहले 2015 में भारत-दक्षिण अफ्रीका के वन-डे मैच के ऑनलाइन टिकट में भी बड़ा घोटाला हुआ था। एमपीसीए ने 19700 टिकट बेचने का दावा किया और 3-4 हजार टिकट भी बमुश्किल नहीं बिके और 11 हजार से अधिक टिकट कहां कई इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया। यहां तक कि इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस घोटाले की जांच करते हुए ए्मपीसीए को कई बार नोटिस, ई-मेल भी भेजे। मगर उसने किसी की परवाह नहीं की। यहां तक कि कुछ ब्लैक में टिकट बेचने वालों को भी पुलिस ने पकड़ा था।

महाराज हो गए पॉवरफुल, किसी की मजाल कि कुछ बोल दे
एमपीसीए की राजनीति महाराज यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया के ईर्द-गिर्द ही बीते कई वर्षों से चल रही है। पहले तो महाराज चूंकि कांग्रेस में थे और प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के चलते एमपीसीए के चुनाव में विजयवर्गीय गुट ने भी खम्भ ठोंका और भाजपा के भी तमाम नेताओं ने टिकटों की कालाबाजारी के आरोप लगाए। मगर अब तो महाराज भाजपा में शामिल हो गए और केन्द्रीय मंत्री के साथ-साथ एमपीसीए के सर्वेसर्वा भी हैं। लिहाजा किसी की मजाल नहीं कि अब एमपीसीए से सवाल-जवाब कर सके। सारे नेता-अफसर भी चुप रहते हैं और दबी जुबान में एमपीसीए की मनमानी स्वीकार भी करते हैं।

मंत्री, नेता, अफसर, चाटुकार कबाड़ लाते हैं ढेरों पास
इंदौर में होने वाले मैच के लिए शहर के साथ-साथ आसपास के क्षेत्रों में भी उत्साह रहता है। यहां तक कि भोपाल के मंत्री, आला अफसर भी ये मैच देखने इंदौर आते रहे हैं, जिसके चलते एमपीसीए को ढेरों पास भी बांटना पड़ते हैं। मंत्री, नेता, अफसरों से लेकर चुनिंदा मीडियाकर्मियों और अन्य चाटूकारों द्वारा ये पास कबाड़ लिए जाते हैं। बीते कई वर्षों से कुछ चुनिंदा चेहरे ऐसे हैं जिन्हें हर मैच में पास मिल जाते हैं। पुलिस, प्रशासन, नगर निगम से लेकर अन्य विभागों को एमपीसीए पास उपलब्ध करवाता है, जिसमें आयकर, सेंट्रल एक्साइज से लेकर न्याय जगत भी शामिल रहता है।

यातायात जाम से लेकर रेसकोर्स रोड बंधक अलग
होल्कर स्टेडियम ना सिर्फ बीच शहर में मौजूद है, बल्कि अब तो अत्यधिक घना इलाका भी हो गया। अभी पिछले दिनों ही रोड सेफ्टी सीरिज के चलते लीजेंट्स के बीच मैच हुए। उसके कारण भी रेसकोर्स रोड से लेकर एबी रोड, एमजी रोड पर घंटों जाम लगा रहा। हर मैच के वक्त पूरा रेसकोर्स रोड एमपीसीए के पास बंधक रहता है और पुलिस-प्रशासन भी प्राधिकरण के सामने वाली सडक़ को तो बंद ही कर देता है। यहां रहने वाले रहवासी भी मैच के कारण इन अव्यवस्थाओं को सालों से भुगत भी रहे हैं।

नया स्टेडियम शहर से बाहर कब बनेगा किसी को पता नहीं
शहर में जो सरकारी नेहरू स्टेडियम था उसे तो सालों पहले चौपट कर दिया, जिसकी दर्शक क्षमता भी अधिक है। नतीजतन सारे मैच होल्कर स्टेडियम में ही आयोजित करना पड़ते हैं। बीते कुछ वर्षों में सुपर कॉरिडोर पर स्पोटर््स कॉम्प्लेक्स के लिए आरक्षित प्राधिकरण की जमीन पर भी विशाल स्टेडियम बनाने के दावे किए जाते रहे और एमपीसीए ने भी इस जमीन को खरीदने में रुचि दिखाई थी। मगर सवाल यह है कि शहर से बाहर 50 हजार से अधिक की क्षमता वाला आधुनिक स्टेडियम कब बनेगा, इसका जवाब किसी जिम्मेदार के पास नहीं है।

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