नई दिल्ली। सीमा पर जारी चीन से विवाद और पाकिस्तान के साथ तल्ख हालातों के मद्देनजर सरकार ने सेना को बुरे वक्त के लिए तैयारी करने का मौका दिया है। केंद्र सरकार ने सेना को आपातकालीन जरूरतों के चलते हथियारों खरीदने या लीज पर लेने का वक्त 3 महीने बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने तीनों सेनाओं को अपनी पसंद के हथियार खरीदने के लिए 2020 के मध्य तक का समय दिया था। खास बात है कि सेनाओं ने पहले ही 200 करोड़ रुपए से ज्यादा की डील पर मुहर लगा दी हैं।
लद्दाख में चीन से शुरू हुए तनाव के बाद सरकार ने सेनाओं से अपने पसंद के हथियारों को खरीदने की बात कही थी। समाचार एजेंसी एएनआई को सूत्रों ने बताया ‘तीनों सेवाओं को आपातकालीन ताकतों का इस्तेमाल कर स्वदेशी या विदेशों से हथियार खरीदने के लिए अतिरिक्त तीन महीनों की अनुमति दे दी है। ये अनुमति सशस्त्र विवाद के लिए तैयार रहने के लिहाज से दी गई है।’ उन्होंने बताया कि सेनाओं ने पहले ही 200 करोड़ रुपए से ज्यादा के हथियारों के अधिग्रहण को अंतिम रूप दे दिया है।
केंद्र ने सेनाओं की मांग को मानते हुए गंभीर युद्ध की स्थिति में 15 दिनों तक हथियारों का स्टॉक करने की अनुमति दी है। आमतौर पर यह अवधि 10 दिनों की होती है। गौरतलब है कि 2016 में हुए उरी हमले के बाद यह पाया गया था कि रिजर्व स्टॉक कम है। जिसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर के मंत्रालय ने सेना (Army), नौसेना (Navy) और वायुसेना (Airforce) की आर्थिक ताकतों में इजाफा किया था। मंत्रालय ने इस राशि को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 500 करोड़ कर दिया था। सूत्र बताते हैं कि सेनाओं ने बड़ी मात्रा में मिसाइल और तोपों के लिए गोला बारूद और पर्याप्त मात्रा में हथियार जुटा लिए हैं। गौरतलब है कि इस साल अप्रैल-मई के बाद से ही लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर भारत का विवाद जारी है।
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