श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर पुलिस (Jammu and Kashmir Police) ने सोमवार को एक बेहद गुप्त अभियान में लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के छद्म संगठन ‘द रेसिस्टेंस फोर्स (TRF)’ के दो शीर्ष कमांडरों को मार गिराया. ये शहर में कई लोगों की हत्या और युवाओं को हथियार उठाने के लिए गुमराह करने में शामिल थे. सबसे लंबे समय तक सक्रिय आतंकवादियों में से एक और टीआरएस का प्रमुख अब्बास शेख (Abbas Sheikh ) और उसका सहयोगी (डिप्टी) शाकिब मंजूर (Saqib Manzoor) शहर के अलोची बाग इलाक़े में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए.
सूत्रों ने जानकारी दी कि आतंकवादियों को खत्म करने के ऑपरेशन को गुप्त रखा गया था और केवल मुट्ठी भर अधिकारियों को जानकारी थी. ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम को वरिष्ठ अधिकारियों ने चुना था. उन्होंने योजना बनाई और ऑपरेशन को अंजाम दिया.
सूत्रों ने कहा कि पुलिस पिछले कुछ दिनों से दोनों आतंकवादियों की गतिविधियों पर नजर रख रही थी. इस दौरान उन्हें पता चला कि दोनों स्थानीय टीमों के बीच खेले जाने वाले फुटबॉल मैच देखने के लिए अलोची बाग के खाद फैक्ट्री ग्राउंड का आएंगे. सूत्रों ने यह भी कहा कि ऑपरेशन की योजना बनाने और उसे अंजाम देने से पहले यह सुनिश्चित किया गया था कि कोई और नुकसान ना हो. इसके साथ ही आतंकियों को घेरने के बाद उन्हें आत्मसमर्पण का मौका दिया जाए.
कश्मीर जोन के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने बताया, ‘हमें इलाके में उनकी मौजूदगी की जानकारी थी. सादी वर्दी में पुलिस के जवानों ने तत्काल इलाके को घेर लिया और आतंकवादियों को ललकारा, जिन्होंने उन पर गोलियां चलानी शुरू कर दी. पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में गोलियां चलाई और ये दोनों मारे गए.’
उन्होंने बताया कि शेख और मंजूर के मारे जाने से सुरक्षाबलों को बड़ी सफलता मिली है. कुमार ने बताया, ‘अब्बास शेख के इशारे पर शाकिब मंजूर ने कई हत्याएं की. उन्होंने इलाके में आतंक मचाया हुआ था.’ इलाके के लोग इनसे परेशान हो चुके थे क्योंकि ये दोनों युवाओं को हथियार उठाने के लिए गुमराह कर रहे थे.
उन्होंने बताया, ‘हमने लोगों से अपील की है कि वे अपने बच्चों को आतंकवादियों के साथ जाने से रोकें. अगर वे आतंकवादी संगठन में शामिल हो चुके हैं तो कृपया उन्हें मुख्यधारा में वापस लाएं. हम उनका स्वागत करेंगे.’ अब्बास शेख पहले हिज्बुल मुजाहिद्दीन के साथ था लेकिन दो साल पहले टीआरएफ में शामिल हो गया.
सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार शेख पिछले एक साल में इस संगठन द्वारा की गई कई हत्याओं का षड्यंत्रकर्ता था. मंज़ूर पिछले साल टीआरएफ में शामिल हुआ था और उस समय वह परास्नातक का छात्र था. वह तेजी से संगठन में ऊपर चढ़ने लगा और ऐसा माना जाता है कि उसने शेख़ के इशारे पर श्रीनगर और आसपास के इलाक़ों में कुछ हत्याओं को अंजाम दिया.
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