उज्जैन। देश के नामी मसाला ब्रांड एमडीएच और एवरेस्ट मसाले में सिंगापुर में अधिक मात्रा में कीटनाशक पाए जाने का मामला सामने आने के बाद इन मसाले को वहाँ बेन कर दिया गया है। अब देश में भी इन मसाले की जाँच शुरू हो गई है। मध्य प्रदेश में भी मसाले की सैंपलिंग का अभियान शुरू हो गया है। उज्जैन में कल धामेजा ब्रांड के मसाले की सैंपलिंग की गई। आज बैठक के बाद दोपहर में सभी प्रकार के मसाले की सैंपलिंग होगी।
सिंगापुर और हांगकांग में जांच में अधिक मात्रा में कीटनाशक पाए जाने के बाद एमडीएच और एवरेस्ट मसाले पर रोक लगा दी गई है। यही मसाले भारत में भी बड़ी मात्रा में बिकते हैं और बड़ा ब्रांड हैं। इसी को देखते हुए देखते हुए मध्य प्रदेश के सभी शहरों में सभी मसाले की सैंपलिंग शुरू कर दी गई है। उज्जैन खाद्य औषधि विभाग के बसंत दत्त शर्मा ने बताया कल मिले निर्देश के अनुसार उज्जैन के बाजार से धामेजा के मिर्च, हल्दी पाउडर और चिकन, मटन मसाला के सैंपल लिए गए हैं और आज इस संबंध में सभी आयुक्त की बैठक होने वाली है। इस बैठक के बाद निर्देश मिलेंगे और शहर में बिकने वाले हर मसाला ब्रांड का सैंपल लिया जाएगा। इन मसाले में इथाईलीन ऑक्साइड जो कि कीटनाशक है। इसकी मात्रा कितनी पाई जा रही है, इसकी जांच लैब में की जाएगी। यदि मानक मापदंडों से अधिक कीटनाशक इन मसाले में मिला तो संबंधित मसाला ब्रांड भारत में भी बिक्री के लिए प्रतिबंधित हो सकते हैं। आज दोपहर बाद शहर की सभी दुकानों पर सभी मसाला ब्रांड के सैंपल खाद्य औषधि विभाग द्वारा लिए जाएँगे।
कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं
चिकित्सकों का कहना है कि खाद्य पदार्थों में कीटनाशकों का उपयोग मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। मसालों में जिस तरह के रसायन तय सीमा से अधिक मिले हैं, ये ज्यादा और लगातार उपयोग करने पर पेट, लिवर, किडनी, त्वचा के रोगों से लेकर कैंसर तक का कारण बन सकते हैं। भारत में लोक स्वास्थ्य के लिए खाद्य पदार्थों की जांच में कीटानाशक की जांच को अनिवार्य किया जाना चाहिए, साथ ही शासन को किसानों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
फसलों पर छिड़का कीटनाशक मसालों के साथ पैकेटों में घरों तक पहुंचा
विशेषज्ञों का कहना है कि मसालों में कीटनाशक मिलना कोई नई बात नहीं है, न ही यह निर्माता कंपनियों द्वारा मिलाया जा रहा है, क्योंकि इसका कोई मतलब ही नहीं है। यह मूलत: खेतों में फसलों को कीटों से बचाने के लिए छिड़का जाता है, वहीं से मसाले कच्चे माल के रूप में निर्माता कंपनी तक पहुंचते हैं और तैयार होकर घरों तक जाते हैं। इसके लिए जरूरी है कि किसानों को कीटनाशकों के उपयोग के संबंध में जागरूक किया जाए, क्योंकि एक लिमिट तक इसकी अनुमति होती है, लेकिन लिमिट से ज्यादा होने पर यह हानिकारक हो जाता है। आप किसी भी खाद्य सामग्री जैसे अनाज या सब्जियों में जब कीटनाशक की जांच करवाएंगे तो इसका पाया जाना तय है।
इन मसालों पर लगी रोक
सिंगापुर और हांगकांग में मसालों की जांच में कीटनाशक पाए जाने पर इन देशों के फूड डिपार्टमेंट ने कहा था कि एमडीएच ग्रुप के तीन मसाले मिक्स- मद्रास करी पाउडर, सांभर मसाला पाउडर और करी पाउडर में एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा ज्यादा पाई गई है, वहीं एवरेस्ट के फिश करी मसाला में भी कार्सिनोजेनिक पेस्टिसाइड पाया गया है। इनके आयात और बिक्री पर रोक लगा दी गई है।
हर मसाले के लेना होंगे दो सैंपल
एफएसएसएआई द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी हर मसाले के दो सैंपल लें। सैंपल मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट के साथ ही रिटेल स्टोर्स से भी लिए जाएं। एक सैंपल को राज्य खाद्य प्रयोगशाला भेजें, वहीं दूसरे सैंपल को शासन द्वारा अधिकृत लैब में भेजें जहां इनमें कीटनाशक सहित अन्य रसायनों की जांच हो सके। इनमें खासतौर पर एथिलीन ऑक्साइड की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं।
भारत में नहीं होती है यह जांच
अधिकारियों ने बताया कि भारत में मसालों में मिलावट आदि की जांच जरूर होती है, लेकिन आमतौर पर मसालों में कीटनाशकों या अन्य रसायनों की जांच नहीं होती है। इसलिए ही यह बात कभी सामने नहीं आई। सिंगापुर और हांगकांग में जब यह जांचें की गर्इं तो गड़बड़ी सामने आई है, जिसके बाद अब भारत में भी विशेष रूप से यह जांच करवाई जा रही है।
आज से ही शुरू होगा अभियान
एफएसएसएआई के आदेश पर प्रदेश मुख्यालय से सभी जिलों को मसालों की जांच के आदेश मिले हैं। इंदौर में आज से ही यह जांच शुरू की जा रही है। इसमें निर्माण यूनिट के साथ ही रिटेल स्टोर्स से भी सैंपलिंग की जाएगी और उन्हें जांच के लिए भेजा जाएगा। रिपोर्ट्स आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बसंत दत्त शर्मा, खाद्य एवं औषधि अधिकारी, उजजैन
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