दंडासन दो शब्दों से मिलकर बना है। दंड अर्थात दंड लगाना और आसन यानी बैठने की मुद्रा है। दंडासन दो प्रकार से किया जाता है। सबसे पहले इसे दंड लगाकर किया जाता था। अब बैठकर दंडासन किया जाता है। पुराने समय में पहलवान अखाड़े में दंड लगाते थे। वर्तमान समय में दंड लगाने का प्रचलन कम हो गया है, लेकिन दंडासन योग अब भी किया जाता है। इस योग में शरीर को एक सीध में रखकर त्रिभुज आकार बनने तक ऊपर उठाया जाता है। दंडासन कई रोगों में लाभकारी है। इससे न केवल शारीरिक कष्टों से निजात मिलता है, बल्कि मानसिक विकारों में भी आराम मिलता है। साथ ही सांस संबंधी सभी बीमारियों में आराम मिलता है। खासकर सर्दियों में वायु प्रदूषण बहुत बढ़ जाता है। इस मौसम में सांस संबंधी बीमारयों का खतरा बहुत अधिक रहता है। इसके लिए जरूरी है कि सर्दी के दिनों में ठंड और जहरीली हवाओं से खुदको सुरक्षित रखें। अगर आप भी अस्थमा से पीड़ित हैं, तो रोजाना दंडासन जरूर करें। आइए जानते हैं कि दंडासन क्या है और कैसे यह किया जाता है-
दंडासन कैसे करें
यह एक आसान योग है, जिसे किसी भी उम्र का व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए समतल भूमि पर दरी बिछा लें। अब दोनों पैरों को एक सीध में आगे रखें। जबकि दोनों पैर का तलवा एक दूसरे से टच करें। इसके बाद अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर टिका दें और हाथों पर हल्का सा बल देकर शरीर को ऊपर उठाएं। अब सिर को नीचे झुकाकर आंखों को नाक के अग्र भाग पर ध्यान केंद्रित कर सांस अंदर लें और बाहर छोड़ें।
इसके बाद पुनः पहली अवस्था में आ जाएं। इस योग को रोजाना करें। इससे सांस संबंधी बीमारियों में बहुत आराम मिलता है। जबकि अस्थमा के मरीजों के लिए दंडासन बेहद फायदेमंद होता है। साथ ही मांसपेशियां मजबूत होती हैं और स्मरण शक्ति भी बढ़ती है।
नोट : उपरोक्त दी गई जानकारी और सुझाव सामान्य जानकारी के लिए हैं। इन्हें किसी प्रोफेशनल डॉक्टर की सलाह के तौर पर नहीं लें। बीमारी या संक्रमण के लक्षणों की स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
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